फ्रैंक वॉरेल : अपना खून देकर भारतीय कप्तान की जान बचाने वाला क्रिकेटर

नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम में एक ऐसे क्रिकेटर रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ इस टीम को अजेय बनाया बल्कि अपने बेहतरीन खेल से वैश्विक स्तर पर क्रिकेट को बदला। इनका नाम फ्रैंक वॉरेल है। वॉरेल की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके देश बारबाडोस ने नोट पर उनकी तस्वीर छापी थी।

फ्रैंक वॉरेल का जन्म 1 अगस्त 1924 को बारबाडोस में हुआ था। वह दाएं हाथ के कलात्मक बल्लेबाज थे।

1948 से 1963 के बीच वेस्टइंडीज के लिए उन्होंने 51 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 9 शतक और 22 अर्धशतक लगाते हुए 49.48 की औसत से 3,860 रन बनाए। वह बाएं हाथ के स्पिनर भी थे और 69 विकेट हासिल किए थे। अगर प्रथम श्रेणी क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने 208 मैचों में 39 शतक और 80 अर्धशतक लगाते हुए 15,025 रन बनाए थे और 349 विकेट हासिल किए थे।

वॉरेल ने अलग-अलग द्वीपों को जोड़कर वेस्टइंडीज टीम को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह वेस्टइंडीज के पहले अश्वेत कप्तान थे। 1960 से 1963 के बीच उन्होंने 15 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की थी। फ्रैंक वॉरेल दुनिया के ऐसे पहले क्रिकेटर थे, जो 500 या उससे अधिक रन की साझेदारी में दो बार शामिल रहे थे। 2010 में भारतीय ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने इसकी बराबरी की थी।

क्रिकेट के मैदान से इतर फ्रैंक वॉरेल की शख्सियत बड़ी थी और उन्हें सामाजिक रूप से भी बड़ी प्रतिष्ठा और लोकप्रियता दुनियाभर में हासिल थी।

1962 में वेस्टइंडीज दौरे के दौरान भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर के सिर पर तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की गेंद लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका ऑपरेशन हुआ। उन्हें बचाने के लिए खून की जरूरत थी, वॉरेल ने तब अपना खून देकर भारतीय कप्तान की जान बचाई थी।

बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन 1981 से हर साल 3 फरवरी को सर फ्रैंक वॉरेल दिवस के रूप में मनाता है और इस दिन मुख्यालय के साथ-साथ जिलों में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है।

बारबडोस ने अपने डाक टिकट और करेंसी पर फ्रैंक वॉरेल की तस्वीर छापी थी। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी खेली जाती है।

फ्रैंक वॉरेल का निधन 42 साल की उम्र में 13 मार्च 1967 को किंग्सटन, जमैका में हुआ था।

--आईएएनएस

पीएके/एबीएम

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