नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती का इस समय दुनिया में दबदबा है। कॉमनवेल्थ के बाद ओलंपिक में भी भारतीय पुरुष और महिला पहलवान अपनी ताकत से दुनिया के पहलवानों को हैरान कर रहे हैं। अनिल कुमार मान एक ऐसे ही पहलवान हैं। एक खिलाड़ी के रूप में अपना नाम बनाने के बाद मौजूदा समय में वह ऐसे पहलवान तैयार कर रहे हैं, जो ओलंपिक में देश के लिए पदक जीत रहे हैं।
अनिल कुमार मान का जन्म 11 दिसंबर, 1980 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के प्रहलादपुर में हुआ था। एक मामूली परिवार में पले-बढ़े मान का कुश्ती के क्षेत्र में सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। कुश्ती का गढ़ कहे जाने वाले हरियाणा में उन्होंने अपनी कुश्ती की यात्रा शुरू की थी। वहां उन्होंने स्थानीय गुरुओं से ट्रेनिंग ली, जो अनुशासन, ताकत और रणनीति पर जोर देते थे। मान ने फ्रीस्टाइल और ग्रीको-रोमन दोनों विधियों में खुद को दक्ष किया।
जिल स्तर की प्रतियोगिताओं से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना झंडा बुलंद करने के बाद मान को यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर में 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स में बड़ी कामयाबी मिली। पुरुषों की फ्रीस्टाइल 96 किलोग्राम वर्ग में उन्होंने रजत पदक जीता। इस सफलता ने उन्हें चर्चा में ला दिया। 2005 में, राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में, उन्होंने 96 किग्रा वर्ग में फ्रीस्टाइल और ग्रीको-रोमन दोनों श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीता। दोनों श्रेणियों में स्वर्ण जीतने वाले वह भारत के पहले पहलवान थे। मान की सफलता में कुश्ती के क्षेत्र में पूर्व से स्थापित ईरान और रूस के पहलवानों के दबदबे को चुनौती दी।
2010 में कुश्ती से संन्यास लेने वाले अनिल कुमार मान कोचिंग क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनका नाम बड़े कोचों में शुमार है। टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में रजत और कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान रोहित दहिया और बजरंग पुनिया मान के शिष्य रहे हैं।
एक खिलाड़ी के रूप में देश का नाम रोशन करने के बाद अनिल कुमार मान बतौर कोच ऐसे खिलाड़ियों को तैयार कर रहे हैं, जो दुनिया में भारत का झंडा बुलंद कर रहे हैं और कुश्ती की सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। अनिल कुमार मान पहलवानी के एक सच्चे दूत हैं। मान सिर्फ 45 साल के हैं। आने वाले समय में उनसे प्रशिक्षित और भी पहलवान सामने आएंगे, जो देश का नाम दुनिया में ऊंचा करेंगे।
--आईएएनएस
