नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। हॉकी इंडिया ने सोमवार को अनुभवी फॉरवर्ड ललित कुमार उपाध्याय को हार्दिक बधाई दी, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा की। इसके साथ ही 2014 से 2025 तक एक दशक से अधिक समय तक चले उनके उल्लेखनीय करियर का समापन हो गया।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले ललित ने बेल्जियम के खिलाफ एफआईएच प्रो लीग 2024-25 सीजन के यूरोपीय चरण के भारत के अंतिम मैच के तुरंत बाद एक भावपूर्ण सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अपने फैसले की घोषणा की। हालांकि उन्होंने दौरे के दौरान चार मैचों में भाग लिया, लेकिन भारतीय जर्सी में उनका अंतिम प्रदर्शन 15 जून को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुआ।
ललित ने सीनियर स्तर पर भारत के लिए 183 मैच खेले, जिसमें 67 गोल किए। पिछले कुछ वर्षों में वह भारत की फॉरवर्ड लाइन में एक विश्वसनीय नाम बन गए। वह अपनी बहुमुखी प्रतिभा, ऑन-फील्ड बुद्धिमत्ता और दबाव की स्थितियों में शांत व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।
2014 हॉकी विश्व कप में पदार्पण करने से लेकर दो बार ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने तक, ललित का करियर आधुनिक युग में भारतीय हॉकी के कुछ सबसे बड़े मील के पत्थर की समयरेखा है।
वह टोक्यो 2020 ओलंपिक में इतिहास रचने वाली टीम का अहम हिस्सा थे, जिसने भारत को लंबे समय से प्रतीक्षित कांस्य पदक जीतने में मदद की और पेरिस 2024 ओलंपिक में इस उपलब्धि को दोहराया, जिससे एक बड़े मैच के खिलाड़ी के रूप में उनकी प्रतिष्ठा मजबूत हुई।
ओलंपिक के अलावा, ललित ने 2016 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी, 2017 एशिया कप में भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस मैच में उन्होंने चार गोल किए थे और कई अन्य पोडियम फिनिश में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उनके पदक से भरे करियर में ओडिशा पुरुष हॉकी विश्व लीग फाइनल 2017 में कांस्य, एफआईएच पुरुष चैंपियंस ट्रॉफी 2018 में रजत, 2018 एशियाई खेलों में कांस्य और 2018 पुरुष एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण शामिल हैं।
वह एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम का भी हिस्सा थे और हांग्जो में एशियाई खेलों 2022 में स्वर्ण पदक जीता था।
भारतीय हॉकी में उनके योगदान के लिए ललित को 2021 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने कहा, "ललित अपनी पीढ़ी के सबसे शानदार और समर्पित फॉरवर्ड में से एक रहे हैं। चाहे वह कोई महत्वपूर्ण ओलंपिक मैच हो या लीग गेम, उन्होंने हमेशा भारतीय जर्सी को गर्व के साथ पहना और दिल से खेला।"
उन्होंने कहा कि वाराणसी की संकरी गलियों से दो बार ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने तक का उनका सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। हम भारतीय हॉकी के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं और उनके जीवन के अगले चरण के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।"
हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने भी ललित के अपार योगदान की सराहना की और कहा, "ललित खेल के सच्चे राजदूत रहे हैं, मैदान के बाहर विनम्र और मैदान पर निडर। उनकी निरंतरता, कौशल और बड़े मैचों के प्रति उनके स्वभाव ने उन्हें टीम का स्तंभ बना दिया। उन्हें न केवल उनके गोल के लिए बल्कि टीम में लाई गई ऊर्जा और सकारात्मकता के लिए भी याद किया जाएगा। हॉकी इंडिया को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।"
--आईएएनएस
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