वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत का आवास मूल्य सूचकांक 3.1 प्रतिशत बढ़ा, कोलकाता सबसे आगे : आरबीआई

नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में पूरे भारत में आवास मूल्य सूचकांक (एचपीआई) में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछली तिमाही के समान गति को बनाए रखने को दर्शाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 प्रमुख शहरों में पंजीकरण अधिकारियों से प्राप्त लेनदेन-स्तर के आंकड़ों के आधार पर चौथी तिमाही के लिए अपना तिमाही एचपीआई डेटा जारी किया।

आरबीआई के एक बयान के अनुसार, "ऑल-इंडिया एचपीआई में 2024-25 की चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछली तिमाही में 3.1 प्रतिशत और एक साल पहले 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। शहरों में वार्षिक एचपीआई वृद्धि में व्यापक रूप से अलग-अलग रही। कोलकाता में 8.8 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर्ज की गई और कोच्चि में 2.3 प्रतिशत की गिरावट रही।"

क्रमिक आधार पर, अखिल भारतीय एचपीआई में चौथी तिमाही में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

आंकड़ों से पता चला कि बेंगलुरु, जयपुर, कोलकाता और चेन्नई नवीनतम तिमाही के दौरान घरों की कीमतों में क्रमिक वृद्धि दर्ज करने वाले प्रमुख शहर हैं।

कोलकाता 8.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ चार्ट में सबसे ऊपर रहा, जबकि कोच्चि एकमात्र ऐसा शहर रहा, जिसमें 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। सूचकांक में 10 शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई शामिल हैं।

केंद्रीय बैंक के अनुसार, "घर न केवल एक परिसंपत्ति है, बल्कि परिवारों के लिए एक टिकाऊ उपभोग वस्तु भी है, जो आश्रय और अन्य सेवाएं प्रदान करता है। घर की कीमत में बदलाव परिवारों की आजीवन संपत्ति को प्रभावित करता है इसलिए इसका प्रभाव खर्च और उधार लेने के फैसले पर पड़ता है।"

घर की कीमत में वृद्धि से निर्माण लागत की तुलना में आवास का मूल्य बढ़ जाता है; इसलिए जब घर की कीमत निर्माण लागत से ऊपर उठती है तो नया निर्माण लाभदायक होता है।

'आवासीय निवेश' घर की कीमत में वृद्धि के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। घर की कीमतें बैंक ऋण को भी प्रभावित करती हैं । इसके अलावा, घर की कीमत में वृद्धि से हाउसिंग कोलेटरल में वृद्धि होती है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

Related posts

Loading...

More from author

Loading...