पहली तिमाही के कमजोर नतीजों के बीच इस सप्ताह भारतीय बाजार मामूली गिरावट के साथ हुए बंद

मुंबई, 26 जुलाई (आईएएनएस) । विश्लेषकों ने शनिवार को कहा कि पहली तिमाही के कमजोर नतीजों और सतर्क ग्लोबल सेंटीमेंट के कारण भारतीय शेयर बाजार साप्ताहिक आधार पर 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ, जो लगातार चौथे सप्ताह गिरावट दर्शाता है।

निफ्टी 50 ने शुक्रवार को बाजार बंद होने पर 24,837 पर था। पिछले पांच सत्रों से विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार शुद्ध बिकवाली कर रहे हैं, जो व्यापक बिकवाली दबाव को दर्शाता है। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में भारी गिरावट देखी गई, जो बेंचमार्क से कमतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

चॉइस इक्विटी ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड के मंदार भोजने ने कहा, "तकनीकी रूप से, निफ्टी अपने 20- और 50-डे ईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक बियरिश शॉर्ट टर्म ट्रेंड का संकेत देता है। अगला तत्काल समर्थन 24,750 पर है और अगर यह लेवल ब्रेक होता है तो आगे की गिरावट सूचकांक को 100-डे ईएमए के पास 24,580 तक धकेल सकती है, जो एक महत्वपूर्ण तकनीकी समर्थन क्षेत्र है।"

इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका का स्टेबलकॉइन पर नया कानून जीनियस एक्ट, भारत, चीन और अन्य अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी प्रवाह को नया रूप देने की धमकी दे रहा है, जहां बैंकों को सहायक कंपनियों के माध्यम से स्टेबलकॉइन में लेनदेन की अनुमति देने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

टैरिफ अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है, ऐसे में इस सप्ताह हस्ताक्षरित भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और आभूषण क्षेत्र के उन शेयरों के लिए एक बढ़ावा है, जिन्हें टैरिफ में कमी और कुछ मामलों में टैरिफ को समाप्त करने से लाभ होने की उम्मीद है।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "अमेरिका-जापान और भारत-यूके व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देना वैश्विक व्यापार बाधाओं को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 1 अगस्त तक अमेरिका-भारत लघु व्यापार समझौते का समाधान निवेशकों की चिंताओं को और कम कर सकता है।"

आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक जैसे निजी बैंकों ने पहली तिमाही में स्थिर आय दर्ज की। बेहतर फंडामेंटल और वैल्यूएशन ने पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस और बजाज फाइनेंस को मदद की।

उन्होंने कहा, "आईटी और फाइनेंशियल सेक्टर सहित पिछड़े क्षेत्रों पर, कमजोर मार्गदर्शन और परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर उभरती चिंताओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कुल आय का कमजोर प्रदर्शन सभी बेंचमार्क सूचकांकों के मौजूदा प्रीमियम मूल्यांकन की स्थिरता को चुनौती दे सकता है और हमें निकट भविष्य में एक कंसोलिडेशन की उम्मीद है।"

वैश्विक अर्थव्यवस्था में जहां उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, वहीं भारत के मैक्रोइकोनॉमिक इंडीकेटर्स सतर्कतापूर्वक आशावादी बने हुए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लेटेस्ट बुलेटिन से पता चलता है कि घरेलू अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।

हेडलाइन मुद्रास्फीति वर्षों के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिससे आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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