नई दिल्ली: नैसकॉम की सोमवार को आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मौजूद 1760 से अधिक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) अब दुनिया भर के देशों के लिए बैक ऑफिस इंजन भर नहीं रह गए हैं, बल्कि तेजी से एंटरप्राइज ट्रांसफॉर्मेशन के फ्रंटलाइन बन रहे हैं।
भारत में 19 लाख प्रोफेशनल को रोजगार देते हुए जीसीसी फॉर्च्यून 500 में से लगभग आधी कंपनियों को डिजिटल बैकबॉन पावर दे रहे हैं।
नैसकॉम की रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया में सेट-अप होने वाले 70 प्रतिशत नए जीसीसी भारत को चुन रहे हैं। देश को चुने जाने की वजह न केवल इसका टैलेंट पूल है बल्कि देश की डीप-टेक क्षमताओं का बढ़ता इकोसिस्टम, सर्विस-प्रोवाइडर पार्टनरशिप और डिजाइन-लेड थिंकिंग है।
रिपोर्ट के अनुसार, जीसीसी मॉडल एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां, इन सेंटर्स की इनोवेशन और एंटरप्राइज वैल्यू के लिए प्राइमरी इंजन के रूप में बढ़ती भूमिका के लिए डीप पार्टनरशिप और तेज मूवमेंट की मांग की जा रही है।
रिपोर्ट नेक्स्ट-जेन जीसीसी के लिए एक नए ऑपरेटिंग कंस्ट्रक्ट की पहचान करती है, जो कि हेडक्वार्टर, जीसीसी और टेक सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप पर बना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी इंटीग्रेटेड इकोसिस्टम हैं, जहां पार्टनर्स मिलकर क्षमताओं को क्रिएट, रन और स्केल करते हैं।
वहीं, फ्लेक्सिबल मॉडल्स जैसे बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर/मैनेज (बी-ओ-एक्स), जॉइंट वेंचर्स, मॉडर्न टैलेंट ऑग्मेंटेशन और कोइनोवेशन पार्टनरशिप एंटरप्राइज के बदलाव को तेजी से लाने के तरीके को नया आकार दे रहे हैं।
यह विस्तार और बदलाव एंटरप्राइज की उम्मीदों को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीसीसी को अब खुद की इनोवेशन पाइपलाइन का ऑनर बनाना चाहिए। साथ ही, ऐसी ऑटोनॉमस वैल्यू क्रिएट करनी चाहिए, जो एआई से जुड़ी बाधाओं के साथ भी काम कर सके।
रिपोर्ट सफलता के लिए शेयर्स एंटरप्राइज विजन, ऑपरेटिंग एक्सीलेंस, मजबूत गवर्नेंस, मैग्नेटिक टैलेंट और टेक्नोलॉजी लेड इनोवेशन पांच बिल्डिंग ब्लॉक्स की बात कहती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्विस प्रोवाइडर्स को गहराई से काम करने और अधिक अडैप्टेबल बनने की जरूरी है, जिसके लिए उन्हें स्पेशलाइज्ड टैलेंट में निवेश किए जाने की जरूरत है।
--आईएएनएस
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