जीएसटी 2.0, भारत और जापान एफटीए से देश के ऑटो पार्ट्स इकोसिस्टम को मिलेगा बूस्ट: रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। भारत का जीएसटी 2.0 सुधार, कस्टम ड्यूटी में कमी और भारत-जापान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साथ मिलकर भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की दिशा तय कर रहे हैं। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

ग्रांट थॉर्नटन भारत और इंडो-जापान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आईजेसीसीआई) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि सितंबर में देश में लागू हुआ जीएसटी 2.0 भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए परिवर्तनकारी है। इससे कर संचरना सरल हुई है और उत्पादों के दामों में कमी आई है। साथ ही, इससे सभी सेगमेंट के वाहनों की मांग में इजाफा हुआ है।

नई जीएसटी दरों के तहत, छोटी कारों और 350 सीसी से कम क्षमता वाली मोटरसाइकिलों पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है, जो पहले के 28 प्रतिशत टैक्स प्लस सेस से कम है। इसके परिणामस्वरूप, चुनिंदा मॉडलों की कीमतों में 1 लाख रुपए तक की कमी देखी गई है।

दूसरी तरफ एसयूवी और हाई-एंड मोटरसाइकिलों सहित प्रीमियम वाहनों पर अब 40 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 5 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में बताया गया कि जीएसटी की दरें कम होने के बाद गाड़ियों में ग्राहकों की रूचि में काफी इजाफा हुआ है और इससे स्मॉल कार सेगमेंट में बुकिंग वॉल्यूम में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का जीडीपी में योगदान 7.1 प्रतिशत है और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है।

देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने 2024 में 28 मिलियन वाहनों का उत्पादन किया है और यह 2023 के मुकाबले 8 प्रतिशत अधिक था।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के सोहराब बरारिया ने कहा, "जीएसटी 2.0 और टारगेटेड कस्टम इंसेंटिव का मिश्रण भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए एक निर्णायक क्षण है। कम कर दरें, सरलीकृत अनुपालन और आपूर्ति-श्रृंखला-केंद्रित छूट न केवल भारत की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएंगी, बल्कि जापानी वाहन निर्माताओं के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात केंद्र के रूप में इसकी स्थिति को भी मजबूत करेंगी।"

रिपोर्ट में कहा गया कि इन सुधारों से देश में निवेश बढ़ेगा, ईवी को लोग अधिक अपनाएंगे। साथ ही मोबिलिटी और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत-जापान की साझेदारी और मजबूत होगी।

--आईएएनएस

एबीएस/

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