नई दिल्ली: केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि हर 40 दिन में एक नए हवाई अड्डे के साथ देश में मात्र 10 वर्षों में 88 नए हवाई अड्डे बने हैं और हर घंटे 60 अतिरिक्त उड़ानें जुड़ी हैं।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, आज भारत में उड़ान भरना अधिक सुलभ और किफायती हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री नायडू ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारतीय आकाश अधिक जुड़ा हुआ, प्रतिस्पर्धी और सहयोगात्मक है।"
उन्होंने समावेशी विमानन विकास को प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक, राज्य-विशिष्ट रणनीतियों के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराई।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा आयोजित उत्तर क्षेत्र नागरिक उड्डयन मंत्रियों का सम्मेलन 2025 में केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इस रणनीतिक पहल के माध्यम से हमारा उद्देश्य क्षेत्रीय अवसरों की पहचान करना और टियर 2 और 3 श्रेणी के शहरों की अपार क्षमता को साकार करना है।"
कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र राज्य में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हो रही प्रगति की सराहना की और राज्य की पहाड़ी भू-भागों में हेलीकॉप्टर संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की महत्ता को रेखांकित किया, जिसके लिए राज्य सरकार और मंत्रालय दोनों प्रतिबद्ध हैं।
मंत्रालय द्वारा विमानन क्षेत्र में राज्यों के लिए अवसरों पर कई प्रस्तुतियां दी गईं।
मंत्रालय द्वारा राज्यों के लिए उपलब्ध अवसरों पर प्रस्तुतियों के बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री नायडू के नेतृत्व में राज्य सरकारों के प्रतिनिधिमंडलों और मंत्रालय के अधिकारियों के मध्य बैठकें आयोजित की गईं।
इन बैठकों के साथ राज्यों को अपनी आवश्यकताओं और सुझावों को सीधे मंत्रालय के समक्ष रखने का अवसर मिला।
साथ ही, राज्य सरकारों ने विमानन उद्योग के प्रमुख हितधारकों (एयरलाइंस, ओईएमएस, एफटीओएस, एमआरओएस, एएआई, पीएचएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) से भी सीधे चर्चा की।
सम्मेलन के अंत में आयोजित प्लेनरी सेशन ने पूरे दिन हुई चर्चाओं और निष्कर्षों का समावेश करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
केंद्रीय मंत्री नायडू ने उत्तर क्षेत्र के लिए मंत्रालय की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला, जिसमें हेलीपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, उड़ान मार्गों का विस्तार, फ्लाइंग ट्रेनिंग संस्थानों और एमआरओ हब्स को सुदृढ़ करना और केंद्र-राज्य-उद्योग के बीच समन्वय बढ़ाना शामिल था।