India Economic Outlook 2030: जीसीसी 2030 तक भारत की जीडीपी में 2 प्रतिशत का योगदान देंगे, पैदा होंगी 28 लाख नौकरियां

2030 तक GCC भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देंगे, लाखों नौकरियां भी बनेंगी
जीसीसी 2030 तक भारत की जीडीपी में 2 प्रतिशत का योगदान देंगे, पैदा होंगी 28 लाख नौकरियां

नई दिल्ली:  ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) 2030 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2 प्रतिशत का योगदान देंगे और 28 लाख रोजगार सृजित करेंगे। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

चार्टर्ड सर्टिफाइड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (एसीसीए) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में जीसीसी बैक-ऑफिस सपोर्ट हब से ग्लोबल वैल्यू क्रिएटर्स के रूप में विकसित हुए हैं, जो अब ग्लोबल कंपनियों के लिए इनोवेशन, टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट और रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेंटर्स के रूप में काम कर रहे हैं।

जीसीसी देश के सर्विसेज निर्यात को बढ़ावा देकर और हाई-क्वालिटी वाली फाइनेंस नौकरियां सृजित करके भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं और ये वैश्विक परिचालन के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और दुनिया भर की टीमों के साथ मिलकर काम करते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि कुशल कार्यबल (विशेषकर तकनीकी क्षेत्र से संबंधित), टियर-2 शहरों में विस्तार, अनुकूल सरकारी नीतियां और बेहतर बुनियादी ढांचा भारत को दुनिया के कार्यालय हब के रूप में उभरने में मदद कर रहे हैं।

वित्त वर्ष 24 में जीसीसी ने लगभग 64.6 बिलियन डॉलर का निर्यात राजस्व अर्जित किया, जो वित्त वर्ष 23 के 46 बिलियन डॉलर से 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

एसीसीए के भारत निदेशक, मोहम्मद साजिद खान ने कहा, "हमारा शिक्षित कार्यबल, राजनीतिक रूप से स्थिर व्यावसायिक वातावरण, युवा आबादी और डिजिटल परिवर्तन क्षमताओं के कारण भारत जीसीसी के लिए आदर्श वातावरण है।"

उन्होंने आगे कहा कि यह विशेष रूप से वित्त पेशेवरों के लिए बड़ा अवसर हैं और उच्च कौशल एवं वित्त कार्यों को समझने वाले, डेटा और डिजिटल उपकरणों से परिचित और व्यावसायिक एवं आलोचनात्मक सोच का उपयोग करने में सक्षम लोगों की भारी मांग है।

जैसे-जैसे जीसीसी विकसित हो रहे हैं, वित्तीय भूमिकाएं पारंपरिक सीमाओं से कहीं आगे तक फैल रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय पेशेवरों के लिए प्रवेश स्तर की भूमिकाएं डेटा विश्लेषण, वित्तीय योजना और विश्लेषण और अनुपालन प्रबंधन पर केंद्रित हैं, वहीं मध्य स्तर की भूमिकाएं प्रक्रिया सुधार और परिवर्तन को गति देने पर केंद्रित हो रही हैं।

 

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