मुंबई, 14 अगस्त (आईएएनएस)। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय शेयरों की बिकवाली जारी रहने के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और खुदरा निवेशकों की खरीदारी के कारण शेयर बाजार मजबूत बने हुए हैं।
2025 में एफआईआई द्वारा सेकेंडरी मार्केट से निकासी ने भारतीय बाजारों में अब तक की सबसे अधिक विदेशी बिकवाली देखी।
हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इस वर्ष भारतीय शेयर बाजार में 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है, जो 2007 के बाद से पहले सात महीनों के दौरान नकद बाजार में इस श्रेणी द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश है।
2025 के केवल सात महीनों में डीआईआई ने 2024 के कुल निवेश का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हासिल किया, जिससे बाजार को आवश्यक समर्थन मिला। 2025 में डीआईआई का प्रवाह निफ्टी के औसत बाजार पूंजीकरण के 2.2 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 2007 के बाद से उच्चतम स्तर है।
यह 2024 के 1.4 प्रतिशत से महत्वपूर्ण वृद्धि है और 2023 में दर्ज 0.6 प्रतिशत से भी काफी अधिक है।
भारतीय खुदरा निवेशक भी बेफिक्र हैं। उन्होंने जुलाई में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 427 अरब रुपए (4.9 अरब डॉलर) का भारी निवेश किया।
जुलाई के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड में सबसे अधिक निवेश देखा गया, जबकि विदेशी फंडों ने उसी महीने 3 अरब डॉलर निकाले।
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इस साल अब तक सेकेंडरी मार्केट में 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध बिकवाली की है, जो पिछले सभी वार्षिक रिकॉर्डों को पार कर गया है।
विश्लेषकों का सुझाव है कि धीमी कॉर्पोरेट आय, अनाकर्षक मूल्यांकन, बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और विदेशी बाजारों में तुलनात्मक रूप से कम मूल्यांकन इस बिकवाली को बढ़ावा दे रहे हैं।
अमेरिका, चीन और यूरोप के बाजार निकट भविष्य में सस्ते मूल्यांकन और तुलनात्मक रूप से ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं।
भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों को "बाय एंड होल्ड" की रणनीति से हटकर रणनीतिक परिसंपत्ति आवंटन की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है।
अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों को लेकर अनिश्चितता और अमेरिका-चीन वार्ता के संभावित विस्तार से विदेशी संस्थागत निवेश प्रवाह में गिरावट आ रही है।
भारतीय निवेशक 15 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि कोई भी सकारात्मक परिणाम टैरिफ संबंधी अनिश्चितताओं को कम कर सकता है।
--आईएएनएस
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