नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। पूर्व जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर की सालाना फीस लगाने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला अमेरिका में ही इनोवेशन के लिए एक बाधा बनेगा जबकि इससे भारतीय आईटी और टेक कंपनियों को फायदा होगा।
दरअसल, एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिया गया नया फैसला अमेरिका में काम करने वाले भारतीय टेक पेशेवरों और बड़ी टेक कंपनियों के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
इस बीच कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "डोनाल्ड ट्रंप की 1 लाख डॉलर की एच-1बी फीस अमेरिका में इनोवेशन को कम करेगी और भारत की ग्रोथ को बढ़ाएगी। अमेरिका ग्लोबल टैलेंट के लिए दरवाजे बंद कर, लैब्स, पेटेंट, इनोवेशन और स्टार्टअप की नेक्स्ट वेव को भारत में बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर धकेल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत के बेहतरीन डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और इनोवेटर को विकसित भारत के लक्ष्य में देश के विकास और प्रगति में योगदान देने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा, "अमेरिका का नुकसान, भारत का फायदा होगा।"
उद्यमी और निवेशक कुणाल बहल ने कहा कि नए एच-1बी वीजा नियमों के कारण, बहुत सारे प्रतिभाशाली लोग भारत वापस आने वाले हैं।
उन्होंने लिखा, "शुरुआत में अपना बेस बदलना मुश्किल होगा, लेकिन भारत में इतने सारे अवसरों को देखते हुए यह उनके लिए फायदेमंद होगा। भारत में प्रतिभा की क्षमता तेजी से बढ़ रही है।"
ट्रंप की नई घोषणा के अनुसार, अब हर आवेदन के लिए प्रति वर्ष 1,00,000 डॉलर की फीस देनी होगी। यह वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकने और अमेरिका में घरेलू कर्मचारियों को नौकरी पर रखने को बढ़ावा देने की कोशिश है।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए, ट्रंप ने कहा कि इसका मकसद अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी देना है।
ट्रंप ने आगे कहा, "हमें कर्मचारियों की जरूरत है। हमें अच्छे कर्मचारी चाहिए और इस नए कदम से यह सुनिश्चित हो सकेगा।"
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इस नीति से कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से रोका जाएगा।
--आईएएनएस
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