नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। भारतीय परिधान क्षेत्र में वित्त वर्ष 2024-29 के दौरान 11 प्रतिशत के सीएजीआर से वृद्धि होने का अनुमान है।
एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च के अनुसार, भारत के परिधान क्षेत्र में वित्त वर्ष 2020-24 के दौरान 11 प्रतिशत की सीएजीआर की वृद्धि हुई है, जो नॉमिनल जीडीपी और निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) वृद्धि के अनुरूप है।
बढ़ती पहुंच और सामर्थ्य के कारण ब्रांडेड सेगमेंट में वित्त वर्ष 2012-24 के दौरान 16 प्रतिशत सीएजीआर देखी गई है।
आगे बढ़ते हुए, विभिन्न परिधान सब-सेगमेंट में, गैर-औपचारिक परिधानों में सक्रिय परिधान (वित्त वर्ष 2024-29 में 25 प्रतिशत सीएजीआर कोरोना के बाद के कैजुअल वियर के चलन से प्रेरित है) और संगठित मूल्य खुदरा (वित्त वर्ष 24-29 में 16 प्रतिशत सीएजीआर, असंगठित से बदलाव का सबसे बड़ा लाभार्थी) के साथ उच्च वृद्धि की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिधान हालांकि ई-कॉमर्स, विदेशी ब्रांडों और बदलते फैशन साइकल से बाधित एक प्रतिस्पर्धी बाजार बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना है कि फॉर्मेट मॉडल को इसके ग्राहक आधार और उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बेहतर नियंत्रण के कारण लाभ प्राप्त है। साथ ही, परिधान क्षेत्र में उभरते जोखिमों को नेविगेट करने के लिए फॉर्मेट बेहतर हैं।"
रिपोर्ट में रिटेल अवसर के आकार और ई-कॉमर्स से सीमित व्यवधान को देखते हुए वैल्यू फैशन फॉर्मेट को प्राथमिकता दी गई है।
इस बीच, भारत का कपड़ा और परिधान (टीएंडए) निर्यात पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में अप्रैल 2025 में 7.45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि यह पॉजिटिव ट्रेंड मुख्य रूप से परिधान सेगमेंट के मजबूत प्रदर्शन से प्रेरित था, जिसने सालाना आधार पर 14.43 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की।
अप्रैल 2025 के दौरान भारतीय कपड़ा निर्यात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में लगभग 2.61 प्रतिशत अधिक था, जबकि परिधान निर्यात ने इस महीने के दौरान 14.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और पिछले साल अप्रैल में 1.2 बिलियन डॉलर की तुलना में 1.37 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छू लिया।
--आईएएनएस
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