भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार और राजकोषीय अनिश्चितता के बावजूद घरेलू खपत और सरकारी खर्च के बल पर मजबूत : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)। भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार और राजकोषीय अनिश्चितता के बावजूद मजबूत घरेलू खपत और सरकारी खर्च के बल पर मजबूती का प्रदर्शन कर रही है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।

एसबीआई कैपिटल मार्केट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बाजार मजबूत बने हुए हैं, हालांकि अमेरिका की एग्रेसिव टैरिफ व्यवस्था वैश्विक स्तर पर एक गंभीर मुद्दा बन गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, "वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में आश्चर्यजनक रूप से भारत की जीडीपी वृद्धि दर औसत से बेहतर रही। यह माना जा रहा है कि भारत पर लगाए गए हाई टैरिफ से वैश्विक चुनौतियों के बीच, घरेलू खपत को बढ़ावा देना जरूरी है। इस संबंध में जीएसटी सुधार एक स्वागत योग्य कदम है।"

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एक अमेरिकी अपील कोर्ट के फैसले ने टैरिफ को असंवैधानिक करार दिया था, जिसके बाद यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। जब तक स्पष्टता नहीं आती, व्यापार नीति में अस्थिरता बनी रहेगी, जिसमें ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा क्षेत्र प्रमुख दबाव में रहेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय निर्यातकों को 50 प्रतिशत तक के रेसिप्रोकल टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जिससे लागत दबाव बढ़ रहा है। अनिश्चितता व्यापार प्रवाह और मार्जिन को प्रभावित कर रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "कमजोर अमेरिकी डॉलर के बावजूद, भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो सालाना आधार पर लगभग 5 प्रतिशत नीचे है। आरबीआई ने हस्तक्षेप सीमित कर दिया है।"

इसमें आगे कहा गया है, "पूंजी प्रवाह धीमा बना हुआ है, जबकि टैरिफ दबावों के कारण कमजोर व्यापारिक निर्यात के बावजूद चालू खाता प्रबंधनीय बना हुआ है।"

रिसर्च विंग ने कहा कि भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है और जीएसटी स्ट्रक्चर को सरल बनाने के सरकार के फैसले से अर्थव्यवस्था में लगभग 50,000 करोड़ रुपए आने की उम्मीद है, जिससे घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा।

एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन में राजकोषीय तनाव वैश्विक व्यापार तनाव को जटिल बना रहा है, क्योंकि बढ़ते कर्ज के बोझ के कारण बॉन्ड यील्ड कर्व और अधिक बढ़ गया है।

रिसर्च विंग ने कहा, "इसी बीच, अमेरिका में कमजोर रोजगार के आंकड़ों ने सितंबर की नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ा दी है।"

--आईएएनएस

एसकेटी/

Related posts

Loading...

More from author

Loading...