भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य-विशिष्ट प्रजातियों की पहचान जरूरी : राजीव रंजन सिंह

नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा है कि भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वैल्यू एडिशन और राज्य-विशिष्ट प्रजातियों की पहचान जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री सिंह ने भारतीय समुद्री खाद्य की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए वैल्यू एडिशन के महत्व पर जोर दिया।

'सीफूड एक्सपोर्टर्स मीट 2025' में उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र में चल रही सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें सभी हितधारकों के लिए बेहतर बाजार संपर्क के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का विकास, उच्च सागर और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मत्स्य पालन को मजबूत करना और इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना शामिल है, जिनका उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को बेहतर बनाना है।

केंद्रीय मंत्री ने उद्योग के सामने आने वाली टैरिफ चुनौतियों से निपटने में समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और एमपीईडीए से राज्य सरकारों के साथ मिलकर राज्य-वार प्रजाति-विशिष्ट निर्यातों का सटीक मानचित्रण करने और नए निर्यात अवसरों की पहचान करने के लिए हितधारक परामर्श आयोजित करने का आग्रह किया।

उन्होंने हितधारकों को भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात को और मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का आश्वासन भी दिया।

एमओएफएएचएंडडी सचिव (मत्स्य पालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में भारत के समुद्री खाद्य निर्यात का केवल लगभग 10 प्रतिशत ही मूल्यवर्धित उत्पाद हैं।

उन्होंने घरेलू उत्पादन में वृद्धि या आयात-और-पुनर्निर्यात रणनीतियों के माध्यम से वैश्विक मानकों के अनुरूप इस हिस्से को 30-60 प्रतिशत तक बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. लिखी ने फसल-उपरांत नुकसान को कम करने की तत्काल आवश्यकता बताई और आश्वासन दिया कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं से संबंधित मुद्दों को वाणिज्य विभाग, विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय में हल किया जाएगा।

भारत के वार्षिक मछली उत्पादन में 104 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 के 95.79 लाख टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 195 लाख टन हो गया है।

'अंतर्देशीय मत्स्य पालन' और 'जलीय कृषि' प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं, जिनका कुल उत्पादन में 75 प्रतिशत से अधिक का योगदान है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

Related posts

Loading...

More from author

Loading...