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मुंबई, 6 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता मार्च 2027 तक बढ़कर 165 गीगावाट से अधिक होने का अनुमान है, जो कि मौजूदा समय में करीब 109 गीगावाट की है। यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया कि मॉडलों और मैन्युफैक्चरर्स की एप्रूव्ड लिस्ट (एएलएमएम), आयातित सेल और मॉड्यूल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के रूप में मजबूत सरकारी समर्थन ने सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को तेजी से बढ़ाने का काम किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में वार्षिक सोलर क्षमता में बढ़ोतरी 45-50 गीगावाट के बीच रह सकती है, जबकि वार्षिक मॉड्यूल प्रोडक्शन 60-65 गीगावाट के बीच रहने की उम्मीद है। इससे आने वाले समय सप्लाई सरपल्स बना रहेगा और इससे छोटे और प्योर-प्ले मॉड्यूल कंपनियों में कंसोलिडेशन को बढ़ावा मिलेगा।
एएलएमएम लिस्ट-2 में कंपनियों को सेल की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़कर दिसंबर 2027 तक करीब 100 गीगावाट करने का प्रस्ताव दिया है, जो कि मौजूदा समय में 17.9 गीगावाट है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में लगे अमेरिकी टैरिफ से निर्यात बाजार में जा रही आपूर्ति का रुख घरेलू बाजारों की ओर हो गया है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि वर्टिकल इंटीग्रेशन करने वाले आपूर्तिकर्ताओं को लंबी अवधि में सप्लाई चेन पर अधिक कंट्रोल मिलेगा।
आईसीआरए के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉर्पोरेट रेटिंग्स) अंकित जैन ने कहा कि प्रतिस्पर्धी दबावों और अत्यधिक क्षमता निर्माण के कारण वित्त वर्ष 25 में घरेलू सोलर ओईएम के मुनाफे में 25 प्रतिशत की नरमी आने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा कि सोलर सेल के लिए एएलएमएम की आवश्यकता जून 2026 से प्रभावी है, इसलिए सेल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में मजबूत वृद्धि और समय पर इसका स्थिरीकरण निकट भविष्य में महत्वपूर्ण बना रहेगा।
--आईएएनएस
एबीएस/