अमेरिकी टैरिफ : कपड़ा, रत्न और आभूषण पर दबाव; फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर नहीं पड़ेगा असर

नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। भारत पर अमेरिका की ओर से एडिशनल टैरिफ आज से लागू होने जा रहा है। एडिशनल टैरिफ लगने से देश के श्रम-प्रधान उद्योग जैसे कपड़ा और रत्न एवं आभूषणपर मध्यम दबाव पड़ने की संभावना है, जबकि दवा, स्मार्टफोन और स्टील जैसे उद्योग छूट, मौजूदा टैरिफ संरचनाओं और मजबूत घरेलू खपत के कारण टैरिफ के इस प्रभाव से अछूते रहेंगे।

एसबीआई रिसर्च की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ से अमेरिकी जीडीपी पर 40-50 आधार अंकों का असर पड़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "50 प्रतिशत टैरिफ के कारण 45 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा, सबसे खराब स्थिति में, भारत का व्यापार अधिशेष व्यापार घाटे में बदल जाएगा। हालांकि, हमारा मानना ​​है कि व्यापार वार्ता से विश्वास बहाल होगा और अमेरिका को निर्यात में सुधार होगा।"

उच्च टैरिफ के बीच, भारत के उत्पाद प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता खो सकते हैं, जिसका संभावित रूप से चीन और वियतनाम जैसे देशों को लाभ हो सकता है, क्योंकि भारत पर लगाया गया टैरिफ अन्य एशियाई देशों से कम है। टैरिफ रेट चीन के लिए 30 प्रतिशत, वियतनाम के लिए 20 प्रतिशत, इंडोनेशिया के लिए 19 प्रतिशत और जापान के लिए 15 प्रतिशत है।

रिपोर्ट के अनुसार, "अमेरिका भारत का सबसे बड़ा वस्त्र निर्यात गंतव्य बना हुआ है। पिछले पांच वर्षों में, भारत ने वस्त्रों में बाजार हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि की है, जबकि चीन की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। यह बदलाव अमेरिकी आपूर्ति-श्रृंखला व्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।"

रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जो इस क्षेत्र के 28.5 अरब डॉलर के वार्षिक निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। अमेरिकी टैरिफ 25 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत होने के साथ, निर्यातक महत्वपूर्ण व्यवधान के लिए तैयार हैं।

झींगा निर्यातक उच्च टैरिफ लागू होने पर भारी नुकसान और ऑर्डर रद्द होने के डर में हैं, जो अपना आधे से अधिक उत्पादन अमेरिका भेजते हैं।

इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतों पर भी असर पड़ता है और भारत इक्वाडोर जैसे प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले कम प्रतिस्पर्धी हो जाता है।

अमेरिका ने भारत से दवा आयात को छूट दे दी है। अमेरिका के कुल दवा आयात में 2024 में भारत की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत रही और वित्त वर्ष 25 में भारत के दवा निर्यात का 40 प्रतिशत अमेरिका को दर्ज किया गया।

इस बीच, हाल के टैरिफ और कमजोर डॉलर के प्रभाव से अमेरिका में नए मुद्रास्फीति दबाव के संकेत खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे आयात-संवेदनशील क्षेत्रों में दिखने लगे हैं।

टैरिफ के आपूर्ति-पक्ष प्रभावों और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव की वजह से अमेरिका में मुद्रास्फीति 2026 तक 2 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर रहने की उम्मीद है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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