देहरादून / रूड़की (दैनिक हाक): आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम अंतर्गत 'भविष्य के परिप्रेक्ष्य में कृषि शिक्षा' विषय पर एग्रीविजन उत्तराँचल एवं श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून (एसजीआरआर यूनिवर्सिटी) के संयुक्त तत्त्वाधान में राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करने हुए राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संस्थान करनाल (मानद विश्वविद्यालय) के निदेशक डॉ० एम एस चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कृषि शिक्षा के लिए निर्धारित प्रावधानों को क्रियान्वित करने की दिशा में देश के कृषि विश्वविद्यालय व कृषि संस्थान तेजी से काम कर रहे हैं। इसके अंतर्गत कृषि शिक्षा को समय के साथ देश की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालना ही हमारी प्राथमिकता होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० यू एस रावत ने कहा कि आने वाले समय में कृषि शिक्षा में कौशल आधारित पाठ्यक्रम लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। इससे कृषि शिक्षा प्राप्त अधिक से अधिक विद्यार्थियों को न सिर्फ रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे बल्कि देश की जरूरतों के अनुरूप युवा शक्ति का सार्थक उपयोग भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह तोमर उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि एग्रीविजन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की ड्राफ्टिंग समिति के चेयरमैन डॉ० के कस्तूरी रंगन को 17 विन्दुओं पर सुझाव सौंपा गया था, जिसमें से 14 विन्दुओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में ज्यों का त्यों शामिल किया जाना एग्रीविजन की कृषि शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने कहा कि एग्रीविजन देश में भारत केंद्रित कृषि शिक्षा की स्थापना तथा खेती में स्थिरता के लिए सतत कार्य करता रहेगा।
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए गोविन्द बल्लभ कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो० बृजेश सिंह ने कहा कि चूँकि कृषि विषय में प्रवेश लेने वाले अधिकांश छात्र ग्रामीण परिवेश से आते हैं, जो किसान परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। हमारे पुराने पाठ्यक्रमों में कुछ विसंगतियों के कारण पढाई पूरी कर लेने के उपरांत ऐसे छात्रों की खेती को व्यवसाय के रूप में स्वीकार करने में कोई रूचि नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वित हो जाने के उपरान्त भविष्य में छात्रों का रुझान निश्चित रूप से खेती-किसानी की तरफ बढ़ेगा। इस दिशा में एग्रीविजन का प्रयास बेहद सराहनीय है।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की प्रदेश अध्यक्ष डॉ० ममता सिंह ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में अधिकांश किसान छोटी जोत के हैं। प्रदेश का बड़ा भू-भाग पर्वतीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसलिए उत्तराखण्ड राज्य के लिहाज से कृषि शिक्षा में बागवानी फसलों से सम्बंधित पाठ्यक्रमों पर जोर दिए जाने से कृषि विद्यार्थियों को कैरियर चुनने में आसानी होगी। उन्होंने कहा मैं आशा करती हूँ कि एग्रीविजन उत्तराँचल द्वारा इस विषय पर प्रदेश के प्रमुख कृषि संस्थानों में समय-समय पर सेमिनार व अन्य कार्यक्रमों के जरिये जागरूकता बढ़ाने व इन कार्यक्रमों को लागू करवाने की दिशा में निरन्तर कार्य जारी रहेगा।
कृषि विषय के प्रख्यात वैज्ञानिक तथा पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के डीन प्रो० शिवेन्द्र कश्यप ने भारत की गौरवशाली प्राचीन कृषि परम्परा का जिक्र करते हुए कहा कि खेती के बारे में हमारे पूर्वजों के ज्ञान व अनुभव दुनिया के सामने एक उदहारण प्रस्तुत करते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी कृषि शिक्षा को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप परिमार्जित कर लें। इस दिशा में एग्रीविजन जैसे आयाम की सार्थक पहल के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कृषि शिक्षा पर अलग से फोकस किया जाना कृषि शिक्षा के भविष्य के लिए सुखद सन्देश है।
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् उत्तराँचल प्रान्त संगठन मंत्री प्रदीप शेखावत ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का कृषि कार्य आयाम एग्रीविजन कृषि छात्रों के समग्र विकास के लिए संकल्पित रहकर अहर्निश भाव से निरन्तर क्रियाशील है। एग्रीविजन देश-काल-परिस्थितियों के अनुरूप कृषि छात्रों व राज्य की कृषि आवश्यकताओं के अनुसार जनजागरण के अपने अभियान में कृषि शिक्षा व कृषि में आमूल-चूल परिवर्तन होने तक कार्य करता रहेगा। आज का यह सेमिनार इसी श्रृंखला की एक कड़ी है।