हरिद्वार: बड़े मेलों से सीख लेने की जरूरत

ठहरने और पार्किंग की जगह अब पड़ने लगी है कम
हरिद्वार: बड़े मेलों से सीख लेने की जरूरत

कुमार दुष्यंत

हरिद्वार (दैनिक हाक): सोमवती अमावस्या पर करीब पैंतीस लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकियां लगाई।भारी भीड़ के बावजूद मेला सकुशल संपन्न हुआ और साथ ही प्रशासन को आने वाले स्नान पर्वों की व्यवस्थाओं के लिए कुछ अनुभव भी दे गया।

सोमवती स्नान के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की थी।इसके लिए 39 जोन और 16 सेक्टर बनाए गए थे। भारी भीड़ को संभालने के लिए पुलिस और प्रशासन को भारी पसीना बहाना पड़ा। हालांकि इतनी भीड़ के आने के कारण कई जगह व्यवस्थाएं धराशाई हुई।सड़कों, हाईवे पर जाम लगे। स्थानीय लोगों को भी मेले के प्रतिबंधों से गुजरने को विवश होना पड़ा।भीड़ रेहड़ी,ठेलियां और आवारा जानवरों तथा भिखारियों से लोगों को परेशानी हुई। लेकिन पुलिस प्रशासन के अधिकारी रात से ही व्यवस्थाएं बनाने के लिए जूझते रहे। पुलिस वाले सड़कों, हाईवे पर जाम खुलवाने के साथ,बिछुड़ों को मिलाने, व्यवस्थाएं बनाने, लोगों को सही मार्ग बताने और गंगा प्रदूषण के प्रति सजग करने का भी काम करते नजर आए। प्रशासनिक स्तर पर मेला क्षेत्र को 39 सेक्टर 16 जोन और 5 सुपर जोन में बांटा गया था। सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले सुपर जोनों की जिम्मेदारी उच्च पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों को सोंपी गई थी। कुल मिलाकर हर मेला कुछ न कुछ सीख लेकर जाता है। इस स्नान पर्व से भी यह सीखने की जरूरत है की अब ऐसे पर्वों पर बड़े वाहनों को भारी वाहनों की भांति हरिद्वार से पहले ही रोका जाए।शहर की पार्किंग भर जाने पर छोटे यात्री वाहनों को भी हरिद्वार से पहले ही वैकल्पिक पार्किंग में रोका जाए। यात्रियों के ठहरने के लिए अस्थाई व्यवस्था की जाए। स्थानीय लोगों को मेलों पर्वों पर प्रतिबंधों से कोई परेशानी न हो इसकी व्यवस्था की जाए।आज का बड़ा स्नान बिना किसी अप्रिय घटना के सम्पन्न होना भी उपलब्धि कहा जा सकता है।

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•बड़े मेलों पर होती रही हैं दुर्घटनाएं•

गनीमत रही की सोमवती स्नान पर लाखों की भीड़ के बावजूद कोई दुर्घटना नहीं घटी। अन्यथा पहले कई बार ऐसे मेलों पर दाग लगते रहे हैं।1998 में सोमवती पर गऊघाट पुल पर भगदड़ मची जिसमें 22 लोग मारे गए थे। इससे पहले 1996 में भी इस पुल पर भगदड़ मची और 16 लोग मारे गए। 1986 में कुंभ के अवसर पर कांगड़ा पुल पर भगदड़ मची 58 लोग मारे गए। 2010 में ललतारों पुल पर भगदड़ मची कई लोग गंगा में गिरकर लापता हो गए।1998 में गऊघाट पर दुर्घटना के बाद गठित राधाकृष्ण जांच आयोग ने सम्पूर्ण रोड़ी बेलवाला को खाली रखने की सिफारिश की थी लेकिन यहां पर निगम ने ही स्ट्रीट वैंडर बसा दिये हैं।

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