लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दूसरे दिन शून्यकाल के दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच खूब नोक—झोंक हुई। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर ने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान 10 मई को गाजीपुर जिले में अपने विधानसभा क्षेत्र (जहूराबाद) में भ्रमण के दौरान एक विवाद और उसके बाद पुलिस में दोनों पक्षों से दर्ज हुए मामले का जिक्र करते हुए कहा कि 'अध्यक्ष जी मामले की जांच करा लीजिए, अगर मैं दोषी हूं तो सदन से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा। '
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने राजभर को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया। मामले में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और संसदीय कार्य मंत्री की भाषा पर आपत्ति की। सपा सदस्यों ने इस बीच हूटिंग भी की। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पुलिस ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यही कहा गया है कि दोनों तरफ से विवाद हुआ है और दोनों तरफ से मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें दोनों अभियोगों की विवेचना प्रचलित है और आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करते हैं कि इसमें दूध का दूध पानी का पानी होगा। संसदीय कार्य मंत्री के जवाब से असंतुष्ट राजभर ने जोर देकर कहा कि 'अध्यक्ष जी आज कहता हूं कि किसी मजिस्ट्रेट से जांच करा दीजिए, मैं दोषी हूं तो इसी सदन से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा। इसी सदन से इस्तीफा देकर जाऊंगा। '
उन्होंने आरोप लगाया कि 'सरकार के दबाव में काम हो रहा है, मेरा क्या कसूर है, मुझे इसकी जानकारी चाहिए। 'इसी बीच नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'नेता सदन के साथ भी माननीय राजभर रहे हैं, आज हमारे साथ आए हैं, इतनी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। '