यूपी में गहराया बिजली संकट, गांवों को मिल रही सिर्फ 9 घंटे बिजली, शहरों में हो रही 7-7 घंटे की अघोषित कटौती

यूपी में गहराया बिजली संकट, गांवों को मिल रही सिर्फ 9 घंटे बिजली, शहरों में हो रही 7-7 घंटे की अघोषित कटौती

लखनऊ: गर्मी बढ़ने के कारण बढ़ी बिजली की मांग और कोयले की कमी से पैदा हुआ बिजली संकट शनिवार को भी जारी रहा। उत्पादन निगम की चार इकाइयों के पास एक से पांच दिन का कोयला बचा है। कोयले की कमी के कारण अप्रैल के महीने में 303 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन पर असर पड़ा है, जबकि प्लांट के पास भी कोयले का स्टाक खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। 

इसमें अनपरा के पास पांच दिन, ओबरा के पास 4 दिन, हरदुआगंज के पास 3 और पारीछा पावर प्लांट के पास महज एक दिन का कोयला बचा है। शनिवार को सभी जगह डिमांड से कम कोयला उपलब्ध हो पाया है। कोयले की कमी को देखते हुए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने निर्णय लिया है कि रेल के साथ-साथ सड़क के जरिए भी कोयले की आपूर्ति की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सबसे अधिक क्षमता के ताप विद्युत गृह अनपरा की इकाइयों के लिए 10 लाख टन कोयला नॉदर्न कोल फील्ड की खदानों से रोड और रेल माध्यम से लेने का निर्णय लिया गया है। इस पावर प्लांट से सबसे अधिक 2630 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है।

अनपरा को एक दिन के लिए 40 हजार टन कोयला चाहिए लेकिन 30 हजार टन ही कोयला उपलब्ध हो पाया। ओबरा को 15,700 की जगह 12500 टन, पारीछा को 19 हजार की जगह 15,500 टन कोयला मिल पाया है। हरदुआगंज में भी कम कोयला मिला है। 

यूपी में बिजली डिमांड लगातार बढ़ रही है। 30 अप्रैल को इस साल की अब तक सबसे ज्यादा डिमांड रही। यूपी में बिजली डिमांड 23 हजार मेगावॉट तक पहुंच गया है, जबकि सप्लाई महज 19,366 मेगावॉट रही। ऐसे में डिमांड और सप्लाई में 3,634 मेगावॉट का अंतर रहा। सबसे ज्यादा बिजली केंद्र के कोटे से मिली। वहां से 8,500 मेगावॉट बिजली मिली है। इसके बाद निजी क्षेत्र से 6,200 मेगावॉट, यूपी उत्पादन निगम से 4,300 मेगावॉट और यूपी हाइड्रो से 366 मेगावॉट बिजली मिली। सबसे बुरा हाल गांव के उपभोक्ताओं का है। 

गांव में 30 अप्रैल को 18 की जगह 9.19 घंटे, नगर पंचायत 21.30 की जगह 14.33 और तहसील में 21.30 की जगह 15.07 घंटे बिजली मिल रही है। शहरों में कागज पर पर्याप्त सप्लाई मिल रही है लेकिन वहां पांच से 7 घंटे तक बिजली कट रही है। प्रदेश सरकार के पावर प्लांट तो कम उत्पादन कर ही रहे हैं। केंद्रीय कोटे से भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही है। गांव, तहसील और नगर पंचायत में घोषित कटौती हो रही है जबकि शहरों में अघोषित कटौती हो रही है। बड़े-बड़े शहर में फॉल्ट और मरम्मत के नाम पर करीब चार से पांच घंटे के लिए सप्लाई बाधित होती है। 

गोमती नगर विस्तार सेक्टर छह निवासी विनीत ठाकुर का कहना है कि प्रतिदिन 3 से पांच घंटे के लिए बिजली कटती है। इसमें 30 मिनट से लेकर दो घंटे का कट लगता है। लखनऊ के अलावा कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा में भी घंटों की अघोषित कटौती हो रही है। आगे अभी कटौती और बढ़ेगी। इसके पीछे एक बड़ी वजह कई पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होना भी है। ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने इस संकट की घड़ी में बिजली कर्मचारियों से छुट्टियों के दौरान भी काम करने की अपील की है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वितरण और ट्रांसमिशन से जुड़े अधिकारियों को छुट्टी के दौरान भी क्षेत्र में किसी भी तरह की बिजली समस्या की जानकारी मिलती है, तो उनका निराकरण करवाएं, जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। 

अधिकारियों को जनता और जन प्रतिनिधियों से भी संपर्क रखने को कहा। ट्रांसफॉर्मर फूंकने की दशा में तुरंत रीप्लेस किए जा सकें। इसके लिए उपकेंद्र स्तर पर ट्रांसफॉर्मर उपलब्ध करवाने के निर्देश ऊर्जा मंत्री ने दिए। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देने के लिए टोल फ्री नम्बर 1912 की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। स्थानीय फॉल्ट को कम से कम समय में ठीक कराने की कोशिश हो रही है। अप्रैल में 1912 टॉल फ्री नंबर पर पूरे प्रदेश से ट्रांसफॉर्मरों की मरम्मत संबंधी 17,069 शिकायतें मिलीं, जिसमें 16,416 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया।


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