देहरादून: गंगोत्री ग्लेशियर, हिमालय एवं हिम नदियां बचाओ अभियान दल की ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने ग्लेशियर दिवस एवं हिमालय, ग्लेशियरों, गंगोत्री ग्लेशियर को संरक्षित करने की मांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की है जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। यहां परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उन्होंने गंगंोत्री से आगे मानवीय आवाजाही पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया जाये अथवा कम से कम पन्द्रह वर्षो के लिए गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र को मानवीय हस्तक्षेप के लिए बन्द कर दिया जाये। उन्होंने धामों में प्रतिदिन नियत संख्या में ही यात्रियों को भेजा जाये की मांग उठाई है।
उन्होंने कहा कि धामों के पांच-छह किलोमीटर के क्षेत्र तक छोटे-बडे वाहनों के आने में पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया जाय, जहां से यात्रीगण ट्राली, घोडे-डण्डीकण्डी में यात्रा करें। उन्होंने कहा कि शिव भक्त कावड़ियांे के लंगर ढ़ाबे नियत संख्या में ही लगे और उनके बडे-बडे ट्रकों का पहाडों में आना प्रतिबन्धित हो। ठाकुर ने कहा है कि धामों में किसी भी प्रकार का सिमेंट, सरिया का निर्माण कार्य पूर्ण प्रतिबन्धित हो सिर्फ कच्चे व लकडी के भवन ही निर्मित हो। उन्होंने कहा कि धामों व हिमालय क्षेत्रो में किसी भी प्रकार की कोई भी बडी-बडी कथायें व समारोह पूर्ण प्रतिबन्धित हो जिससे पर्यावरण की क्षति न हो।
उन्होंने कहा कि विगत 18 वर्षो से उनके द्वारा 13 जून को ग्लेशियर संरक्षण दिवस मनाया जाता आ रहा है जिसे राज्य व भारत सरकार के माध्यम से घोषित करवाने के लिए प्रयास किये, गये लेकिन उन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सहित समस्त हिमालय के ग्लेशियरो का सर्वे शीघ्र कर प्रत्येक वर्ष उनके आंकडे एकत्रित करते रहने होगे जिससे उनके पिघलने की रफ्तार का अनुमान लगता रहेगा। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों के संरक्षण व संवर्धन के लिए मुख्य ग्लेशियरों में मानवीय आवाजाही हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाना अत्यन्त आवश्यक है कम से कम पन्द्रह वर्षो के लिए और जिसमें गंगोत्री ग्लेशियर मिलभ ग्लेशियर, खतलिग,ं कालाबलंद हिमनद, मंओला आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर व केन्द्र स्तर पर हिमालय-ग्लेशियर संरक्षण की समितियां गठित की जाय, जिनमें प्रत्ये वर्ग जैसे अधिकारी, वैज्ञानिक, सेना अधिकारी एवं हिमालय-ग्लेशियरों पर कार्य करने वाले मुख्य लोगों को आवश्यक रूप से सम्मलित किया जाये।