देहरादून: दून स्थित बिन्दाल एवं रिस्पना नदी के किनारे पर एलिवेटेड रोड एवं एनजीटी के फैसले से प्रभावित गरीब परिवारों को विस्थापन करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सीपीआईएम लोकसभा सांसद राधाकृष्णन को ज्ञापन दिया तथा इस ओर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया। बस्ती बचाओ आन्दोलन की ओर से दिये गये ज्ञापन में एलिवेटेड रोड़ से हो रहे बड़े विस्थापन के सन्दर्भ में चर्चा की गई और बस्तियों को बचाने की गुहार लगाई। इस अवसर पर लोकसभा सांसद से चर्चा की और कहा गया कि एलिवेटेड योजना जनता के हित में न होकर चन्द पूंजीवादी घरानों के लिऐ है। इस अवसर पर प्रतिनिधिमण्डल ने उन्हें अवगत कराया कि गैर जरूरी एलिवेटेड रोड़ एवं एनजीटी के दिशानिर्देशों के चलते बिन्दाल और रिस्पना की प्रभावितों की समस्याओं को लेकर गत दिनों राज्य सचिवालय पर बस्तियों का विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया तथा मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा गया। इस अवसर पर प्रतिनिधिमण्डल ने उन्हें अवगत कराया कि एनजीटी के आदेश के नाम पर इन बस्तियों में कई गरीब परिवारों के मकान को अवैध घोषित कर सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की सरासर अवहेलना हो रही है, जबकि ठीक इसके विपरीत बड़े रसूखदारों और सरकारी कब्जों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस दौरान प्रतिनिधिमण्डल ने उन्हें अवगत कराया है कि प्रभावित परिवारों की ओर से पूर्व में मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त और महापौर के समक्ष अपनी मांगें रख चुके हैं तथा रजिस्टार एनजीटी, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष आदि को अनेकों बार पत्र दे चुके हैं। इस दौरान प्रतिनिधिमण्डल ने गैर जरूरी एलिवेटेड रोड़ की परियोजना रद्द कर, इन बस्तियों में सभी प्रकार की नागरिक सुविधाऐं दिये जाने, एनजीटी के आदेश के नाम पर अबैध घोषित किए गए मकानों को इस श्रेणी हटाये जाने और प्रभावितों पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन किये जाने की मांग की गई। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सरकार, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि प्रभावितों के हित में कार्य करें और प्रभावित नागरिकों की समिति बनाकर सभी मामलों में न्यायसंगत कार्यवाही की जाए।