नई दिल्ली: गैंगस्टर अबु सलेम की उम्रकैद की सजा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। सुनवाई के दौरान सलेम के वकील ऋषि की दलील पर अदालत ने कहा कि आप जो कह रहे हैं वो खतरनाक प्रस्ताव है। आप पुर्तगाल कानून और भारतीय कानून को मिला रहे हैं।
पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार के हलफनामे पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई थी।अदालत ने सलेम की याचिका प्री मेच्योर होने की दलील को नकार दी थी।कोर्ट ने हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सरकार न्यायपालिका को भाषण न दे। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में लिखे कई वाक्यों पर आपत्ति जताई थी।
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा था कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं। फैसला आपको करना है आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं। ये क्या है? हमें ये कहते हुए खेद है कि गृह सचिव हमें ये ना बताएं कि हमें ही अपील पर फैसला लेना है। केंद्र सरकार को हलफनामे में सोच समझ कर लिखना चाहिए। हमें हलफनामे में लिखे कई वाक्य अच्छे नहीं लगे। आपने एक जगह लिखा है कि आप उपयुक्त अवसर पर निर्णय लेंगे। आप हर समय गेंद हमारे पाले में ही डाल देते हैं।
बताते चलें कि सलेम के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों में सीबीआई अभियोजन एजेंसी है जबकि तीन मामलों में महाराष्ट्र सरकार। गौरतलब है कि 18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। सलेम को प्रदीप जैन हत्याकांड, बॉम्बे बम विस्फोट मामले और अजीत दीवानी हत्याकांड में प्रत्यर्पण दिया गया था। 11 नवंबर 2005 को जैसे ही सलेम को भारत लाया गया, उसे बॉम्बे बम विस्फोट मामले में CBI ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में आतंकवाद विरोधी दस्ते, मुंबई द्वारा हिरासत में ले लिया गया। प्रदीप जैन हत्याकांड में टाडा कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।