बीजिंग, 13 जून (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) परिषद ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा संयुक्त रूप से प्रचारित ईरानी परमाणु प्रस्ताव को पारित किया। सम्मेलन के दौरान, आईएईए के सदस्य देशों ने ईरानी परमाणु मुद्दे पर गरमागरम बहस की।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में चीन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत ली सोंग ने अपने भाषण में बताया कि ईरानी परमाणु मुद्दे में 20 साल से अधिक की देरी हो चुकी है। सबसे मूल्यवान ऐतिहासिक अनुभव यह है कि राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास ही ईरानी परमाणु मुद्दे को ठीक से हल करने का एकमात्र सही तरीका है। सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सबक यह है कि आंख मूंदकर टकराव करना, दबाव डालना और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को कमजोर करना इस मुद्दे को और जटिल ही करेगा। यदि अमेरिका ने ईरानी परमाणु मुद्दे पर व्यापक समझौते से एकतरफा वापसी नहीं की होती और यदि व्यापक समझौते को सुचारू रूप से और प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता, तो ईरानी परमाणु मुद्दा आज इस बिंदु पर नहीं पहुंचता।
ली सोंग ने कहा कि वर्तमान में, ईरानी परमाणु मुद्दा एक महत्वपूर्ण चौराहे पर है। सर्वोच्च प्राथमिकता यह है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आपसी सम्मान के आधार पर राजनीतिक और कूटनीतिक संपर्क और संवाद को बढ़ावा दे, प्रतिबंधों, दबाव और बल प्रयोग की धमकियों को त्याग दे और ईरानी परमाणु मुद्दे पर व्यापक समझौते के आधार पर एक नई आम सहमति तक पहुंचने के लिए संबंधित पक्षों को संयुक्त रूप से बढ़ावा दे।
ली सोंग ने बताया कि वर्तमान स्थिति में, हमें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु अप्रसार प्रणाली की आधारशिला के रूप में परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि की स्थिति और भूमिका को संजोना चाहिए, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए गैर-परमाणु हथियार राज्यों के वैध अधिकारों का पूरी तरह से सम्मान करना चाहिए। हमें शक्ति और जिम्मेदारी के संतुलन का पालन करते हुए परमाणु अप्रसार और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लक्ष्यों का समन्वय करना चाहिए।
आईएईए के परिषद में मतदान के अधिकार वाले 33 सदस्य देशों में से चीन, रूस और बुर्किना फासो ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, इंडोनेशिया और मिस्र सहित 11 विकासशील देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
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