वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक एआई-जनरेटेड तस्वीर साझा की जिसमें वह पोप की वेशभूषा में नजर आ रहे हैं। तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि उनके गले में क्रॉस लटका हुआ है और सिर पर सफेद टोपी लगी हुई है। इस तरह ट्रंप पूरी पोप जैसी पोशाक में नजर आए हैं।
खास बात यह है कि एआई-जनरेटेड यह फोटो व्हाइट हाउस के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से भी साझा की गई, जिससे विवाद और बढ़ गया। यह तस्वीर तब सामने आई जब पोप फ्रांसिस के निधन को कुछ ही दिन हुए थे (22 अप्रैल को, 88 वर्ष की उम्र में)। 26 अप्रैल को ट्रंप उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए थे। लेकिन इसके बाद उनका यह कदम राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर सवाल उठा रहा है।
इस विवाद के पीछे की पृष्ठभूमि यह है कि एक पत्रकार को जवाब देते हुए ट्रंप ने कुछ दिन पहले मजाक में कहा था– कि मैं अगला पोप बनना पसंद करूंगा। इस टिप्पणी को पहले हल्के हास्य के रूप में देखा गया था, लेकिन अब एआई-फोटो के साथ यह बयान अहंकार और असंवेदनशीलता के रूप में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर आ रहीं प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस फोटो को लेकर कई नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक यूजर ने लिखा, यह चर्च और खुद भगवान का अपमान है। ट्रंप शैतान हैं। वहीं एक अन्य यूजर लिखता है, यह बेहद आत्ममुग्ध और असम्मानजनक है. रिपब्लिकन ऐसे व्यक्ति को वोट देते हैं? हास्य-व्यंग्य वाली प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। इसमें कुछ हंसने-हसाने वाले मीम्स वायरल हुए हैं। कुछ समर्थकों ने इसे राजनीतिक व्यंग्य और सत्ता की महत्वाकांक्षा के प्रतीक के रूप में देखा है।
धार्मिक संदर्भ और गंभीर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि पोप की भूमिका कोई राजनीतिक पद नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दायित्व होती है। ट्रंप का इसे राजनीतिक ब्रांडिंग से जोड़ना कई लोगों को आहत कर गया है। इस प्रकार एआई का धार्मिक प्रतीकों के साथ प्रयोग, खासकर जब भावनाएं ताजा हों, धार्मिक अपमान या ब्लैस्पेमी की सीमा तक जा सकता है। व्हाइट हाउस हैंडल से पोस्ट होना, इसे एक व्यक्तिगत मजाक के बजाय संस्थागत संप्रेषण बना देता है।