दक्षिण कोरिया: मार्शल लॉ मामले में पूर्व प्रधानमंत्री सू के खिलाफ ट्रायल जल्द, हफ्ते का एक दिन तय

सोल, 16 सितंबर (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ विद्रोह का मुकदमा इस महीने के अंत से शुरू होगा। अदालत ने मंगलवार को कहा कि ये सप्ताह में एक बार आयोजित किया जाएगा।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हान पर दिसंबर में पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल के मार्शल लॉ लागू करने में मदद करने, झूठी गवाही देने, सरकारी दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और नष्ट करने, और अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

मंगलवार को सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पहले प्री ट्रायल हियरिंग के दौरान, पीठ ने कहा कि औपचारिक सुनवाई 30 सितंबर से शुरू होगी और हर सोमवार को एक सुनवाई के साथ तेजी से आगे बढ़ेगी।

पहली औपचारिक सुनवाई में 3 दिसंबर के सीसीटीवी फुटेज को पेश किया जाएगा। ये उसी दिन का है जिस दिन राष्ट्रपति कार्यालय से मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा हुई थी।

यून द्वारा मार्शल लॉ घोषित करने से पहले, कथित तौर पर हान के सुझाव पर, उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय में एक कैबिनेट बैठक बुलाई थी।

कथित तौर पर फुटेज में हान को बैठक कक्ष से मार्शल लॉ की घोषणा और यून के राष्ट्र के नाम संबोधन वाले मुद्रित कागजात इकट्ठा करते हुए दिखाया गया है।

इसमें कथित तौर पर हान को कैबिनेट बैठक के लिए कोरम पूरा होने की जांच हाथ से गिनते हुए और बैठक समाप्त होने के बाद तत्कालीन गृह मंत्री ली सांग-मिन के साथ विचार-विमर्श करते हुए भी दिखाया गया है।

हान के अभियोग में उन पर 3 दिसंबर के बाद एक संशोधित घोषणापत्र तैयार करने का आरोप लगाया गया है जिसका उद्देश्य उस आदेश की वैधता को बढ़ाना और बाद में उसे नष्ट करना था।

उन पर संवैधानिक न्यायालय और राष्ट्रीय सभा में शपथ लेकर झूठ बोलने का भी आरोप है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यून ने उन्हें मार्शल लॉ घोषणापत्र की एक प्रति तब तक दी थी जब तक कि आदेश वापस नहीं ले लिया गया।

हान मंगलवार को प्रीट्रायल हियरिंग में शामिल नहीं हुए क्योंकि इसकी आवश्यकता नहीं थी।

इससे पहले अगस्त में, एक स्पेशल काउंसल टीम ने हान पर यून द्वारा मार्शल लॉ लागू करने में विफल रहने के लिए उकसाने के आरोप में अभियोग लगाया था।

विशेष वकील चो यून-सुक की टीम के अनुसार, हान पर विद्रोह के सरगना को उकसाने, झूठी गवाही देने, सरकारी दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और नष्ट करने, और अन्य अपराधों के आरोप लगाए गए थे।

--आईएएनएस

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