ताइवान पर टिप्पणी सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं थी: जापानी पीएम ताकाइची

टोक्यो, 26 नवंबर (आईएएनएस)। जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने बुधवार को संसद में इशारों-इशारों में कहा कि ताइवान को लेकर दिया उनका पिछला बयान सोची-समझी रणनीति का हिस्सा नहीं था बल्कि अचानक ही उन्होंने ये बात कह दी थी।

उन्होंने कहा कि शुरू में उनका इरादा किसी ऐसे खास मामले का जिक्र करने का नहीं था जिसे जापान "अस्तित्व के लिए खतरे" वाली स्थिति मान सकता है और कलेक्टिव सेल्फ-डिफेंस अधिकार के तहत अपनी सेना तैनात कर सके।

पद संभालने के बाद पहली बार संसद में विपक्षी नेताओं का सामना करते हुए, ताकाइची ने कहा कि उनकी स्थिति पिछली सरकारों की स्थिति जैसी ही है। उन्होंने 7 नवंबर की अपनी उस बात का बचाव किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ताइवान पर चीनी नौसेना की नाकाबंदी जापान के लिए अस्तित्व का संकट बन सकती है।

दावा किया कि सत्र को लंबा न करने के लिए बतौर उदाहरण उन्होंने अपनी बात रखी थी। बयान के बचाव में कहा, "सिर्फ सरकार की पिछली स्थिति को बार-बार दोहराने से, कुछ हालात में, बजट कमेटी के उस सेशन को सस्पेंड किया जा सकता था।" 'द जापान टाइम्स' के मुताबिक वो बात उन्होंने उस प्रैक्टिस के बारे में कही जो कभी-कभी विपक्ष सरकार के जवाबों को संतोषजनक न मानने पर पार्लियामेंट्री बातचीत को रोकने के लिए अपनाता है।

उन्होंने आगे कहा, "मुझसे खास उदाहरण देने के लिए कहा गया था, और मैंने ईमानदारी से जवाब देने की कोशिश की।"

बुधवार को 'कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान' के नेता योशीहिको नोडा के सवाल के जवाब में, ताकाइची ने कहा कि उनकी सरकार चीन के साथ बातचीत के दरवाजे "खुले" रखे हुए है।

उन्होंने कहा, “आगे बढ़ते हुए, बातचीत के जरिए (चीन के साथ) ज्यादा बड़े और सकारात्मक रिश्ते बनाने के साथ अपने राष्ट्रीय हितों का ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है।”

प्रधानमंत्री के साथ अपनी बातचीत में नोडा ने कहा कि ताकाइची की बातें उनकी सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से मेल नहीं खातीं।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आपके (पीएम ताकाइची) विचार हमेशा से ही ऐसे थे, लेकिन सेल्फ-डिफेंस फोर्सेज के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर, कुछ बातें ऐसी हैं जो आप नहीं कह सकते। अनजाने में अपने निजी विचार जाहिर करना बड़ी नासमझी है।”

ताकाइची की बातों और उसके बाद बीजिंग की कार्रवाई के बाद जापान और चीन के बीच रिश्ते और भी खराब हो गए हैं, जो प्रधानमंत्री की चीनी नेता शी जिनपिंग के साथ मीटिंग के ठीक एक हफ्ते बाद हुई थी। मीटिंग में, दोनों ने स्थिर और “आपसी फायदे वाले” रिश्ते बनाने का वादा किया था।

यह दरार तब और भी साफ हो गई जब हाल ही में जोहान्सबर्ग में हुए जी20 समिट में ताकाइची और चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। शी और ताकाइची ने सोमवार देर रात और मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक के बाद एक फोन पर बात की। बाद में जापानी पीएम ने सिर्फ इतना बताया कि ट्रंप ने उन्हें चीन-यूएस रिश्तों की "मौजूदा हालत" के बारे में बताया था।

मंगलवार को एयर फोर्स वन पर रिपोर्टर्स से जब ताकाइची के साथ फोन कॉल के बारे में पूछा गया, तो ट्रंप ने उन्हें "स्मार्ट और मजबूत" बताते हुए कहा, "मेरी बहुत अच्छी बात हुई, मेरे उनके साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं।" लेकिन ट्रंप ने शी की भी बहुत तारीफ की; एक दिन पहले चीनी लीडर ने ट्रंप के साथ अपनी कॉल में इस बात पर जोर दिया था कि ताइवान की आखिरकार "चीन में वापसी" युद्ध के बाद के इंटरनेशनल ऑर्डर का एक जरूरी हिस्सा है।

यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप ने चीन के साथ उनके झगड़े में ताकाइची को सीधे तौर पर अपना समर्थन दिया था या नहीं।

--आईएएनएस

केआर/

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