Sindh Drainage Crisis: पाकिस्तान हुक्मरान नहीं करा पा रहे नालियां साफ, मानसून को लेकर अलर्ट के बीच गंदगी से जनता परेशान

सिंध में मानसून से पहले नाले साफ नहीं, हादसों और जलभराव से जनता में भारी नाराजगी।
पाकिस्तान हुक्मरान नहीं करा पा रहे नालियां साफ, मानसून को लेकर अलर्ट के बीच गंदगी से जनता परेशान

सिंध:  पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार नालों, सीवर लाइनों और गटरों को साफ करने में विफल साबित हुई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सिंध सरकार ने सफाई के लिए कोई पर्याप्त कदम नहीं उठाए, जिसके कारण कई इलाके अभी भी जाम हैं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि सिंध प्रांत में 15 जुलाई को मानसून प्रवेश करेगा।

पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के हैदराबाद में घनी आबादी वाले इलाकों में मुख्य नालियां कचरे से भरी हैं और नालियों के किनारे की टूटी या गायब दीवारें ठीक नहीं की गई हैं। इस वजह से स्थानीय जनता काफी चिंतित है।

मौसम विभाग ने सिंध सरकार को बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके बाद उच्च-स्तरीय बैठकों में आयुक्तों, उपायुक्तों और स्थानीय नगर निकायों को शहरी बाढ़ की संभावना के लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए।

इससे पहले, सिंध स्थानीय निकाय विभाग ने 10 जुलाई को हैदराबाद नगर निगम सहित विभिन्न नगर निगमों को जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया, लेकिन 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई जमीन पर तैयारी शुरू नहीं हुई है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर की प्रमुख नालियां, जैसे लियाकत कॉलोनी और सत्तार शाह कब्रिस्तान से मेमन अस्पताल चौक और टंडो यूसुफ तक की नाली कचरे से बुरी तरह जाम हैं।

इसके अलावा, कुछ इलाकों में स्थित नालियों के ऊपर कचरा जमा हो गया है। साथ ही कुछ जगहों पर नालियों के ऊपर कचरा जमा हो गया है, जिससे वहां से गुजरने वाले बच्चों के लिए भी खतरा बढ़ गया है।

इतना ही नहीं, कई जगहों पर नाली का पानी सड़क के स्तर तक पहुंच जाता है, जिसके कारण पहले भी कई वाहन और बच्चे इसमें गिर चुके हैं। बीते मई में एक सात साल के लड़के राहील अफजल की खुले नाले में गिरकर मौत हो गई थी।

पिछले महीने जानी शाह मोहल्ला इलाके में दो लड़कियों (10 साल की रबील और 8 साल की परिशा) की खुले नाले में गिरने से मौत हो गई थी।

त्रस्त लोगों का कहना है कि बार-बार होने वाली त्रासदियों के बावजूद न तो हैदराबाद प्रशासन, न ही नगर निगम, और न ही संबंधित टाउन म्यूनिसिपल प्रशासनों (टीएमए) ने इन खतरनाक नालियों के किनारे टूटी सुरक्षात्मक दीवारों को ठीक करने के लिए कोई कदम उठाया है।

सरकार से हर महीने 12 लाख रुपए अनुदान मिलने के बावजूद संबंधित यूनियन समितियों ने इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। वेतन और बिजली बिलों के भुगतान के बाद भी नाली रखरखाव जैसे जरूरी सामुदायिक कार्यों के लिए यह राशि उपयोग नहीं की गई।

विडंबना यह है कि हर साल सिंध सरकार और स्थानीय निकाय आपातकालीन बैठकें करते हैं और बारिश की तैयारी योजनाएं बनाते हैं, जिसके लिए बजट में लाखों रुपए आवंटित किए जाते हैं। हालांकि, वास्तव में एक भी नाले की पूरी तरह से सफाई नहीं की गई और हर साल नालों की सफाई के नाम पर फर्जी बिल भी बनाए जाते हैं।

 

 

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