करांची: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के नौ ठिकानों को जमीदोंज कर दिया है। हमले में बहावलपुर में दुर्दांत आतंकवादी हाफिज सईद का मरकज भी शामिल है। यहां हाफिज गरीब मुस्लिम बच्चों को सलाफी इस्लाम की शिक्षा देता था। उसका पूरा परिवार खत्म हो चुका है। उसके परिवार के 14 सदस्य कब्र में दफन हो चुके हैं। अब सवाल यह है कि हाफिज जिस सलाफी इस्लाम की बात करता है, उसकी विचारधारा क्या है? यह कैसा इस्लाम है?
सलाफी यानी सलाफिय्याह इस्लाम सुन्नी इस्लाम का एक आंदोलन है, जो सलाफ यानी शुरुआती तीन पीढ़ियों के मुसलमानों की प्रथाओं को अपनाने की कोशिश करता है। इसमें पैगंबर मुहम्मद, उनके साथी (सहाबा), उनके बाद की पीढ़ी (ताबिईन) और तीसरी पीढ़ी (ताबा ताबिईन) शामिल हैं। सलाफ शब्द का मतलब है पूर्वज। सलाफी लोग इस्लाम के सबसे शुद्ध रूप को वापस लाना चाहते हैं, जो कुरान और हदीस (पैगंबर की बातें और काम) पर आधारित हो।
सख्त एकेश्वरवाद (तौहीद): सलाफी लोग केवल एक अल्लाह को मानते हैं। वे कुरान और हदीस को शब्दशः मानते हैं। ये बिद’अत का विरोध का करते हैं। सलाफी उन प्रथाओं को गलत मानते हैं जो शुरुआती इस्लाम में नहीं थीं, जैसे सूफी रीति-रिवाज या पैगंबर के जन्मदिन (मौलिद) का उत्सव।
सलाफिय्याह की शुरुआत 9वीं सदी में विद्वान अहमद इब्न हनबल और 14वीं सदी में इब्न तैमिय्या जैसे विचारकों से हुई, जिन्होंने इस्लाम को शुद्ध करने की बात की। आधुनिक सलाफी आंदोलन 18वीं सदी में मुहम्मद इब्न अब्दुल वहाब से शुरू हुआ, जिनके विचारों को वहाबिय्याह कहा जाता है।