मास्को: रूस ने रविवार को ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के 'गैर-जिम्मेदाराना' हमलों की कड़ी निंदा की। रूस ने हमले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य की ओर से किया गया अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन बताया। साथ ही कहा कि इससे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा होगी और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) की व्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा।
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि अमेरिकी हमले के बाद ईरान को कई देश परमाणु हथियार दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार भूल जाना चाहिए।
रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा, "किसी संप्रभु राज्य के क्षेत्र पर मिसाइल और हवाई हमले करने का यह लापरवाही भरा फैसला, चाहे इसके लिए कोई भी औचित्य क्यों न दिया गया हो, अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है। यह विशेष चिंता का विषय इसलिए भी है कि हमले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य ने किए।"
विदेश मंत्रालय ने कहा, "अमेरिकी हमले की वजह से रेडियोधर्मी प्रभावों के परिणाम अभी तक निर्धारित नहीं किए गए हैं। हालांकि यह स्पष्ट है कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा को और अस्थिर करने की कोशिश पहले से चल रही है। अमेरिकी अटैक ने पहले से ही कई समस्याओं का सामना कर रहे मध्य पूर्व में एक बड़े संघर्ष की संभावना को काफी हद तक बढ़ा दिया है।"
रूस ने कहा, "ईरानी परमाणु प्लांट्स पर हमलों ने 'परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि' (एनपीटी) के जरिए निर्मित वैश्विक अप्रसार व्यवस्था को बड़ा झटका दिया है, जो चिंताजनक है। एनपीटी की विश्वसनीयता और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी और सत्यापन तंत्र की अखंडता को काफी हद तक कमजोर कर दिया गया है।"
मंत्रालय ने कहा, "हम आईएईए से अस्पष्ट भाषा या राजनीतिक 'समान दूरी' के पीछे छिपने के प्रयासों से बचते हुए पेशेवर और पारदर्शी तरीके से जवाब की उम्मीद करते हैं। महानिदेशक की ओर से एक निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट को एजेंसी के आगामी विशेष सत्र में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी एक दृढ़ रुख अपनाना चाहिए। अमेरिका और इजरायल की ओर से की गई टकरावपूर्ण और अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों को सामूहिक रूप से खारिज किया जाना चाहिए।"