पाकिस्तानी जानकार ने क्यों कहा कि भारत की धमकी को हल्के में ना ले

पाकिस्तानी जानकार ने बताए तीन कारण, क्यों भारत की चेतावनी को हल्के में न लें
India Pakistan conflict

इस्लामाबाद: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पहलगाम हमले के दोषियों को ढूढ़कर सजा दी जाएगी, फिर चाहे वे दुनिया के आखिरी कोने में जाकर क्यों न छिपें हों। भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि रोककर सबूत दे दिया है कि वह इस बार बड़े कदम उठाने को तैयार है। इस बीच पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने बताया है कि तीन ऐसी वजह हैं कि जिससे पाकिस्तान को भारत की चेतावनी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

पाकिस्तानी जानकार उमर फारुख ने एक लेख में बताया है कि भारत कम से कम से तीन जगह से हथियार खरीद रहा है। पांच साल में भारत ने अमेरिका से कम से कम 20 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं। भारत के हथियारों के दूसरे स्रोत फ्रांस और इजरायल हैं। इन हथियारों की बदौलत आज भारतीय सैन्य रणनीतिकार पाकिस्तान के ऊपर सैन्य श्रेष्ठता देख रहे हैं।

दूसरा कारण ये हैं कि सैन्य रूप से शक्तिशाली देश के कमजोर पर हमले के बाद कोई अंतरराष्ट्रीय विरोध नहीं होता है। रूस के यूक्रेन पर हमले और इजरायल के फिलिस्तीन अभियान में यह बात साफ हो चुकी है। अब सैन्य रूप से कमजोर देशों पर आक्रमण करना अंतरराष्ट्रीय राजनीति में आदर्श है। इसके बाद पाकिस्तान को इस चेतावनी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वर्तमान में वाशिंगटन, तेलअवीव और पेरिस के नई दिल्ली से गहरे रिश्ते हैं। ये भारत को सिर्फ हथियार सप्लाई नहीं कर रहे, बल्कि वे नई दिल्ली को राजनीतिक समर्थन भी दे रहे हैं।

उन्होंने तीसरा कारण बताया कि अब तक भारत-पाकिस्तान सैन्य संकट को पूर्ण युद्ध में बदलने से रोकने के लिए पश्चिमी ब्लॉक कूटनीतिक भूमिका निभाता था। वॉशिंगटन ने 1987 के बाद से हर भारत-पाकिस्तान सैन्य संकट के दौरान युद्ध को टालने में भूमिका निभाई है। लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल है। वर्तमान में वॉशिंगटन का रणनीतिक धड़ा भारत के साथ संयुक्त सैन्य योजना के बारे में बात कर रहा है। एफबीआई और राष्ट्रीय खुफिया सेवा जैसी संस्थाओं के निदेशक संयुक्त सैन्य योजना के बारे में बात कर रहे हैं। इसके बाद पाकिस्तान को बहुत संभलकर चलने की जरूरत है।

 

 

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