इस्लामाबाद, 20 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान के कराची में भारी बारिश के कारण कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 10 घायल हो गए। बारिश में शहर की प्रमुख सड़कें और अंडरपास जलमग्न हो गए और देश में दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अध्यक्ष इनाम हैदर मलिक के अनुसार, मूसलाधार बारिश शनिवार तक जारी रहने की संभावना है और महीने के अंत तक बारिश का एक और दौर आ सकता है।
प्रमुख पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट, दुनिया न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कराची में, बिजली का झटका लगने और कंक्रीट के ढांचों के ढहने सहित बारिश से जुड़ी घटनाओं में 11 लोगों की जान चली गई।
शहर की पुरानी सीवरेज और जल निकासी व्यवस्था बाढ़ में ध्वस्त हो जाने के कारण, दैनिक यात्री व्यस्त समय में बढ़ते बाढ़ के पानी में फंस गए, जबकि बिजली गुल होने से कई इलाके अंधेरे में डूब गए, जैसा कि प्रमुख पाकिस्तानी दैनिक, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में बताया गया है।
इस बीच, सिंध में, मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करते हुए कहा कि बुधवार को पूरे प्रांत में सभी प्रांतीय सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्वायत्त और निजी संस्थान (जिनमें स्कूल भी शामिल हैं) बंद रहेंगे।
इसके अलावा, प्रांतीय आपदा अधिकारी मुहम्मद यूनिस ने बताया कि बलूचिस्तान के 15 जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई, जहां प्रांत को सिंध से जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि बारिश से जुड़ी घटनाओं में दो जिलों में 40 से 50 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
पाकिस्तान मौसम विभाग (पीएमडी) ने आने वाले दिनों में सिंध और बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है और शहरी बाढ़, अचानक बाढ़ और बुनियादी ढांचे को नुकसान के खतरे के बारे में आगाह किया है।
देश भर में मानसून के कहर के बीच, पाकिस्तान की 'अवामी तहरीक पार्टी' के नेताओं ने खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में भारी बारिश के बीच नागरिकों की सुरक्षा में विफल रहने के लिए संघीय और प्रांतीय सरकारों की आलोचना की है, जहां 300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
नेताओं ने एनडीएमए पर 'प्राकृतिक आपदाओं के नाम पर खरबों रुपए निगलने' और पीड़ितों के बचाव या पुनर्वास के लिए कम प्रयास करने का आरोप लगाया।
बयान में कहा गया है, "एनडीएमए ने वास्तविक सहायता प्रदान करने के बजाय केवल मृतकों की गिनती तक ही खुद को सीमित कर लिया है।"
उन्होंने आगे कहा कि सिंध सरकार, पीडीएमए और एनडीएमए, दोनों ही पर्याप्त तैयारी करने में विफल रहे हैं।
नेताओं ने कहा, "अगर सरकारों ने आपदाओं से पैसा कमाने के बजाय जान बचाने को प्राथमिकता दी होती, तो लोगों को इतने बड़े मानवीय और वित्तीय नुकसान से बचाया जा सकता था।"
--आईएएनएस
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