पीएम मोदी की जी7 में भागीदारी भारत-कनाडा संबंधों को फिर से मजबूत करने का मौका : पूर्व राजनयिक डीपी श्रीवास्तव

नई दिल्ली, 8 जून (आईएएनएस)। पूर्व भारतीय राजनयिक डी.पी. श्रीवास्तव ने रविवार को कहा कि जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी कनाडा यात्रा भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने का एक सही अवसर प्रस्तुत करती है, जो 2023 से तनावपूर्ण बने हुए हैं।

श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "प्रधानमंत्री ने जी7 शिखर सम्मेलन में जाने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। इसलिए, फोकस वैश्विक मुद्दों पर होगा, द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं। निश्चित रूप से, जब नेता मिलते हैं, तो वे सभी मुद्दों पर चर्चा करते हैं, और यह द्विपक्षीय संबंधों को संतुलित करने का एक अच्छा अवसर होगा।"

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से शुक्रवार को जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को औपचारिक निमंत्रण मिला, जहां भारत एक आउटरीच देश के रूप में भाग लेगा। हालांकि भारत जी7 का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन जी7 में शामिल होना फिर से उसके बढ़ते भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को मान्यता देने का संकेत देता है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कनाडा की धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद 2023 में भारत-कनाडा संबंधों पर गंभीर असर पड़ा।

भारत ने आरोपों को "बेतुका और राजनीति से प्रेरित" बताया। दोनों देशों द्वारा राजनयिकों को निष्कासित करने, व्यापार वार्ता को रोकने और आधिकारिक यात्राओं को निलंबित करने के साथ गतिरोध बढ़ गया।

श्रीवास्तव ने कहा, "कनाडा के साथ हमारे अच्छे संबंध थे और मेरा मानना है कि आतंकवाद के प्रभाव के बारे में वहां की नई सरकार में भारत की स्थिति के बारे में बेहतर समझ है। नई सरकार इन घटनाओं का चुनावी कार्ड के रूप में उपयोग करने की संभावना नहीं रखती। इसलिए हमें उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच स्पष्ट समझ पैदा करेगी।"

कनानास्किस में होने वाला यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब नए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के साथ आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित करने में रुचि दिखाई है। श्रीवास्तव ने पहलगाम में आतंकवादी हमले से कुछ दिन पहले 16 अप्रैल को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर द्वारा दिए गए घृणास्पद भाषण पर भी टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की वैचारिक उलझन बहुत गहरी है: "पाकिस्तान की विचारधारा उस देश में प्रेरक प्रभाव के कारण परिभाषित नहीं है... 1973 में संविधान बनने से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने वैचारिक आधार का हवाला देते हुए नेशनल अवामी पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था।"

--आईएएनएस

एससीएच

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