मानवाधिकार संगठन ने बांग्लादेश में बढ़ते अपराधों पर जताई चिंता, ईयू प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से पहले भेजा पत्र

ढाका, 15 सितंबर (आईएएनएस)। एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिनिधिमंडल की तीन दिवसीय बांग्लादेश यात्रा से पहले गंभीर चिंता जताई है। संगठन ने अपने पत्र में दावा किया है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में देश में कानून-व्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी है, मानवाधिकार उल्लंघन बढ़े हैं और आर्थिक हालात भी खराब हुए हैं।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, ईयू का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 16 से 18 सितंबर तक बांग्लादेश का दौरा करेगा। इसमें अर्कादियुश मुलार्चिक (पोलैंड), उर्मास पायट (एस्टोनिया), मुनिर सातौरी (फ्रांस), मानवाधिकार उपसमिति की अध्यक्ष इसाबेल विसेलर-लिमा (लक्जमबर्ग) और कैटरीना विएरा (नीदरलैंड) शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश में सुधारों और मानवाधिकार स्थिति का आकलन करेगा।

जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस (जेएमबीएफ) ने पत्र में आरोप लगाया कि यूनुस सरकार के कार्यकाल में अब तक 637 से अधिक लोगों की संगठित भीड़ हिंसा में हत्या हो चुकी है, जिनमें 205 नेता और कार्यकर्ता सत्तारूढ़ अवामी लीग व उससे संबद्ध संगठन से जुड़े थे।

संगठन ने बताया कि पिछले एक वर्ष में हिरासत के दौरान गोलीबारी, यातना और जानबूझकर की गई चिकित्सीय लापरवाही से 70 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें अधिकांश अवामी लीग के समर्थक थे।

पत्र में कहा गया कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों पर हमले व्यापक रूप से हुए हैं। 1,494 मूर्तियां और शिल्पकृतियां तोड़ी गईं, 120 मज़ार नष्ट कर दिए गए, 17 चर्च जला दिए गए और अल्पसंख्यक समुदायों पर 2,442 हिंसक घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें हत्या, बलात्कार, आगजनी और पूजा स्थलों पर हमले शामिल हैं।

संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि 200 से अधिक दोषी चरमपंथियों और संदिग्धों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है, जिससे मानवाधिकार सुरक्षा के सामने गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है।

पत्र के अनुसार, पत्रकारों और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी गहरा खतरा मंडरा रहा है। पिछले एक वर्ष में 167 पत्रकारों के मान्यता पत्र रद्द किए गए, 266 पत्रकारों को झूठे हत्या मामलों में फंसाया गया और 14 से अधिक पत्रकारों को फर्जी आरोपों पर गिरफ्तार किया गया।

जेएमबीएफ ने यह भी दावा किया कि अंतरिम सरकार सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों पर सीधा नियंत्रण रख रही है। इसके चलते पीड़ितों को न्याय से वंचित होना पड़ रहा है। 50 से अधिक न्यायाधीशों को डराया-धमकाया गया, इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया या उन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया।

इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और यौन शोषण बढ़ा है। शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और छात्र हिंसा, धमकियों और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर पाबंदियों का सामना कर रहे हैं।

संगठन ने ईयू की मानवाधिकार उपसमिति से अपील की है कि बांग्लादेश की स्थिति पर सीधे ध्यान दें और अंतर्राष्ट्रीय निगरानी तथा सिफारिशों के जरिए अंतरिम सरकार व सुरक्षा एजेंसियों को जवाबदेह बनाएं।

--आईएएनएस

डीएससी/

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