तेल अवीव: गाजा में बुधवार को एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने दुनिया को दहला दिया। हजारों की भीड़ यूएन के गोदाम पर टूट पड़ी, दीवारें तोड़ी गईं, दरवाजे उखाड़े गए, और अंदर पड़ा आटा, चावल, सब कुछ लोग लूटने लगे। इस भगदड़ में चार लोगों की मौत हो गई। दो कुचलकर और दो गोलियों से। अब तक ये साफ नहीं है कि फायरिंग किसने की, इजरायली सेना, प्राइवेट गार्ड या कोई और। लेकिन रेड क्रॉस अस्पताल ने साफ कहा घायलों में महिलाएं और बच्चे भी हैं जिन पर गोली लगी है। यह घटना केवल एक हिंसक भीड़ या एक भूख से परेशान समूह की कहानी नहीं है। यह उस उम्मीद की मौत की कहानी है, जो 80 दिनों की भूख के बाद भी जिंदा रहने की जद्दोजहद कर रही थी।
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम का बयान बेहद भावुक है। बयान में कहा गया, हजारों भूखे लोग हमारे गोदाम पर टूट पड़े। गाजा में हालात बेकाबू हो चुके हैं। अब सिर्फ एक रास्ता है- खाने-पीने के सामान में जबरदस्त इजाफा किया जाए, तभी लोगों को भरोसा हो पाएगा कि वे भूख से नहीं मरेंगे। संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि सिग्रिड काग ने कहा, ये मानो ऐसा है जैसे जहाज डूब चुका हो और अब कुछ लोगों को बचाने के लिए नावें भेजी जा रही हों। लोग अब उम्मीद खो चुके हैं। इसके एक दिन पहले दक्षिण गाजा में एक और खाद्य वितरण केंद्र पर इजरायली फायरिंग में एक नागरिक की मौत हुई और 48 घायल हुए। चश्मदीदों के मुताबिक, जैसे ही भीड़ अंदर घुसी, इजरायली सैनिकों ने गोलियां चला दीं। कई वीडियो में लोग चीखते-भागते नजर आए- महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग जिन्हें जिंदा रहने के लिए सिर्फ एक थैला खाना चाहिए था।