एसी का अत्यधिक उपयोग बढ़ा रहा ग्लोबल वॉर्मिंग को

एसी का ज्यादा इस्तेमाल बढ़ा रहा ग्लोबल वॉर्मिंग और किडनी रोगों का खतरा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
effects of AC on health

नई दिल्ली: हाल ही में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एसी का अत्यधिक उपयोग न केवल ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ा रहा है, बल्कि मानव शरीर, खासकर किडनी पर भी बुरा असर डाल रहा है। खासतौर पर क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसके पीछे मुख्य कारणों में एसी का अधिक उपयोग भी शामिल है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जो लोग घंटों एसी में रहते हैं, उनके शरीर से पसीना नहीं निकलता। पसीने के जरिए शरीर से विषैले तत्व यानी टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं। लेकिन जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो शरीर में टॉक्सिंस जमा होने लगते हैं, जिससे किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यही कारण है कि लंबे समय तक एसी में रहने वाले लोगों में किडनी संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। एसी से सिर्फ शरीर ही नहीं, वातावरण भी प्रभावित होता है।

 यह मशीन कमरे को ठंडा करने के लिए बाहर की तरफ गर्म हवा छोड़ती है, जिससे बाहरी तापमान लगातार बढ़ता जाता है। यही प्रक्रिया विश्व स्तर पर ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ावा देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एसी एक ऐसा उपकरण है जो हमारे वातावरण की हवा को कृत्रिम रूप से नियंत्रित करता है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव व्यापक है। एसी के तापमान से बार-बार अंदर और बाहर आने-जाने पर शरीर को गर्म और ठंडे के बदलाव का सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार लोगों को सर्द-गर्म, बुखार और थकान जैसी समस्याएं घेर लेती हैं। यह स्थिति खासकर बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में अधिक देखने को मिलती है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि एसी का इस्तेमाल सीमित मात्रा में किया जाए। 

शरीर को स्वाभाविक रूप से ठंडा रखने के लिए पसीना निकलना जरूरी है। न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भी यह जरूरी है कि हम अपनी आदतों में बदलाव लाएं और जरूरत पड़ने पर ही एसी का उपयोग करें। यही सतर्कता हमें आने वाले समय में गंभीर बीमारियों और पर्यावरणीय संकट से बचा सकती है। बता दें कि लोग गर्मी का मौसम शुरू होते ही लोग राहत पाने के लिए एयर कंडीशनर (एसी) का सहारा लेने लगते हैं।

 

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