-चीन और भूटान के बीच हुई यह बातचीत भारत के लिहाज से बेहद अहम
बीजिंग: भारत के दो सबसे अहम पड़ोसी देशों चीन और भूटान के बीच शुक्रवार को कुनमिंग शहर में बातचीत हुई है। चीन और भूटान दोनों के ही अधिकारी तीन चरणों वाले रोडमैप को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। बताया जा रहा है कि चीन और भूटान के बीच यह पूरी बातचीत दो विवादित इलाकों पर फोकस रही। इसमें पहला-डोकलाम तथा उससे लगी भूटान की पश्चिमी सीमा। इसके साथ ही भारत-चीन-भूटान ट्राईजंक्शन और दूसरा भूटान के उत्तरी सीमा पर स्थित जाकरलुंग और पासमलुंग घाटी।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन और भूटान के बीच सीमा को लेकर कोई भी बातचीत बेहद अहम है और नई दिल्ली को इसे लेकर सतर्क रहना होगा। भूटान और चीन के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है। चीन-भूटान सीमा बातचीत को तेज करने के लिए तीन चरणों वाले रोडमैप को लागू करने पर विचारों का गहन आदान-प्रदान किया गया। इसमें एक सकारात्मक सहमति भी बनी है। भूटान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय सीमा को देखने वाले दाशो लेथो तोबधेन तांगबी ने किया।
उन्होंने चीन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जिसका नेतृत्व होंग लियांग कर रहे थे जो चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा विवाद को देखते हैं। यह बातचीत मंगलवार से लेकर शुक्रवार तक चली। इस बातचीत के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों ही पक्ष तीन चरणों वाले रोडमैप को एक के बाद एक क्रियान्वित करने को लेकर सहमत हुए हैं। इसके अलावा दोनों देश लगातार संपर्क में बने रहेंगे और सीमा विवाद को लेकर 25वें दौर की बातचीत को जल्द से जल्द आयोजित करेंगे। इस तीन चरणों वाले रोडमैप पर अक्टूबर 2021 में सहमति बनी थी। चीन और भूटान के बीच साल 1984 से लेकर अब तक 24 दौर की सीमा बातचीत हो चुकी है। इस दौरान बातचीत केवल डोकलाम और भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन तथा जाकरलुंग और पासमलुंग घाटी को लेकर फोकस रही है।
इस बातचीत के बाद भी चीन ने भूटान के साथ विवाद को बढ़ाते हुए हाल ही में भूटान के पूर्वी सीमा पर साकटेंग वन्यजीव अभ्यारण्य के कई इलाकों पर अपना दावा ठोक दिया है। इस अभ्यारण्य की सीमा भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य से मिलती है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इन विवादों को पश्चिमी। मध्य और पूर्वी सेक्शन करार दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि चीन भूटान पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहा है ताकि वह थिंपू की सरकार चीन के पहले दिए गए डोकलाम को आपस में बदलने के ऑफर को स्वीकार कर ले। चीन का मानना है कि भारत से सटा डोकलाम का इलाका उसके लिए रणनीतिक रूप से अहम है।
इसके बदले में चीन भूटान के उत्तरी इलाके में स्थित भूटानी जमीन पर दावा छोड़ देगा। पश्चिमी इलाके को लेकर चीन और भारत के बीच विवाद है जो करीब 269 वर्ग किलोमीटर है जो भारत की सीमा से सटा हुआ है। साल 2017 में भारतीय सेना की ओर से चीन की चाल को फेल कर देने के बाद डोकलाम को लेकर ड्रैगन नए सिरे से तैयारी कर रहा है। इस विवाद के बाद चीन ने डोकलाम में अपने सैनिकों की संख्या को काफी बढ़ा दिया है। भूटान पर दबाव बनाने के लिए चीन अब उसकी जमीन में गांव तक बसा रहा है।