ब्रुसेल्स, 10 जून (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बेल्जियम और लक्जमबर्ग में भारतीय समुदाय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने और देश की प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया।
यूरोपीय देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत में, विदेश मंत्री ने उनके साथ भारत-बेल्जियम संबंधों की निरंतर प्रगति और यूरोपीय संघ के साथ जुड़ाव पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्री भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने तथा विविध क्षेत्रों में चल रहे सहयोग को नई गति देने के लिए 8 से 14 जून तक फ्रांस, यूरोपीय संघ और बेल्जियम की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
उन्होंने बातचीत के दौरान पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को उजागर करते हुए कहा, "आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है। यह सभी के लिए एक चुनौती है। लेकिन जो बात इस चुनौती को भारत से अलग करती है, वह यह है कि अक्सर विभिन्न देशों में, एक समूह या ताकतों का समूह इसे अंजाम देता है। ऐसा बहुत कम होता है कि कोई देश इसे खुले तौर पर राज्य की नीति के रूप में इस्तेमाल करे। यूरोप में आतंकवाद होता है, लेकिन कोई भी पड़ोसी यूरोपीय देश आतंकवाद को घोषित राज्य नीति के रूप में नहीं अपनाता है।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खतरे ने समकालीन समय में किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत को अधिक प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अधिक दृढ़ है।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान में आतंकवाद के दो सबसे प्रमुख और कुख्यात केंद्रों, मुरीदके और बहावलपुर पर हमला करना था। दशकों से, इन दो स्थानों से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमले किए जाते रहे हैं। लेकिन इस बार भारत यह संदेश देने के लिए दृढ़ था कि भारत आतंकवादियों को ढूंढेगा और चाहे वे कहीं भी हों, उनका सफाया करेगा।"
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री ने भारत और यूरोप के बीच संबंधों को बढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, "हमारे बीच हमेशा से अच्छी राजनीतिक समझ रही है। राजनीतिक रूप से, हमारे लिए चीजें हमेशा सहज रही हैं, लेकिन अब हमारा प्रयास केवल हमारे पास जो है, उससे संतुष्ट होना नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों के साथ अपने सहयोग को बढ़ाना है, विशेष रूप से आर्थिक सहयोग, लोगों के बीच संपर्क और समुदाय की भलाई।"
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की तरह यूरोप भी 'आत्मनिर्भर भारत' की भारतीय अवधारणा की ओर बढ़ रहा है और अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इसका एक हिस्सा यह है कि दुनिया किस दिशा में जा रही है। इस बात की भावना बढ़ी है कि सभी देश एक तरह से आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते थे। मुझे लगता है कि अब आत्मनिर्भर यूरोप भी बन रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोप, जो यह महसूस करता है कि यूरोप की कई समस्याएं हैं जिनका समाधान यूरोप को ही करना है।"
उन्होंने कहा, "उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा और इसलिए उन्हें अन्य देशों के साथ मजबूत संबंधों की आवश्यकता है, और मुझे लगता है कि इस प्रक्रिया में इसी तरह की सोच मौजूद है।"
इसके अलावा, विदेश मंत्री जयशंकर ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना की।
उन्होंने कहा, "मैं इस अवसर पर यह बताना चाहता हूं कि पिछले दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने प्रवासी भारतीयों को विशेष महत्व दिया है। हम आपको दुनिया के साथ अपने संपर्क की कुंजी के रूप में देखते हैं।"
भारत-बेल्जियम सहयोग वर्तमान में व्यापार और निवेश, हरित ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल, हीरा क्षेत्र और मजबूत लोगों के बीच संबंधों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है।
--आईएएनएस
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