बांग्लादेश: गृह मंत्रालय के सलाहकार ने कानून-व्यवस्था में गिरावट स्वीकार की

ढाका, 7 सितंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने रविवार को स्वीकार किया कि देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है।

यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका के राजारबाग पुलिस लाइन्स में चुनाव ड्यूटी के लिए पुलिस की क्षमता और कौशल बढ़ाने हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "स्थिति अच्छी थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों की घटनाओं के आधार पर, मैं कहूंगा कि स्थिति थोड़ी बिगड़ी है। हम इसे पहले जैसी स्थिति में लाने की पूरी कोशिश करेंगे।"

उन्होंने कहा कि राजबाड़ी में हुई हालिया हिंसा की जांच की जा रही है और उन्होंने बताया कि घटना में शामिल पांच लोगों को कानून के दायरे में लाया गया है।

राजबाड़ी में हुई हालिया हिंसा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम विस्तृत जानकारी दे पाएंगे। हालांकि, हम घटना में शामिल पांच लोगों को पहले ही कानून के दायरे में ला चुके हैं। उनसे पूछताछ के बाद, हमें स्थिति की स्पष्ट तस्वीर मिल सकती है।"

क्या जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के अपने पदों पर बने रहने पर निष्पक्ष जांच संभव है? इस पर उन्होंने जवाब दिया: "लापरवाही जांच से तय होगी। अगर मैं पहले ही सभी को हटा दूंगा, तो इसका मतलब है कि मैंने जांच को महत्व नहीं दिया। अगर कोई दोषी साबित होता है, तो कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई निर्दोष है, तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। बिना जांच के मैं कैसे कह सकता हूं कि कौन जिम्मेदार है?"

5 सितंबर को राजबाड़ी के गोलंदा उपजिले में नूरुल हक मोल्ला, जिन्हें नूरल पगला के नाम से भी जाना जाता है, की कब्र को लेकर हुई हिंसक झड़पों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। बांग्लादेश के द बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान 28 वर्षीय मोहम्मद रसेल मोल्ला के रूप में हुई थी।

शुक्रवार दोपहर के आसपास गुस्साए लोगों द्वारा अंसार क्लब इलाके में नूरल पगला के समाधि स्थल पर हमला करने के बाद हिंसा भड़क उठी। उनके अनुयायियों ने इसका विरोध किया और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर ईंट-पत्थर फेंके, जिससे कई लोग घायल हो गए।

23 अगस्त को नूरल पगला की मृत्यु के बाद, उनके परिवार ने उन्हें उनके आवास के बाहर दफना दिया था। कब्र काबा शरीफ की शैली में बनाई गई थी और उस पर "हजरत इमाम महदी (अ.स.) का दरबार शरीफ" लिखा एक साइनबोर्ड लगा था, जिससे स्थानीय मुसलमानों में गुस्सा भड़क उठा और इलाके में तनाव पैदा हो गया।

गोआलंदा उपजिला की इमाम परिषद ने 26 अगस्त को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। ज़िला प्रशासन ने स्थिति को शांत करने के लिए कई बैठकें कीं। बैठकों के दौरान, लोगों ने कब्र की संरचना को काबा शैली से बदलने, साइनबोर्ड हटाने और कब्र की ऊंचाई को सामान्य स्तर तक कम करने की मांग की। परिवार और अनुयायियों ने पहली दो मांगें मान लीं; हालांकि, उन्होंने कब्र की ऊंचाई कम करने पर निर्णय लेने के लिए 4 सितंबर तक का समय मांगा था। हालांकि, द बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, परिवार निर्धारित समय सीमा के भीतर ऐसा करने में विफल रहा।

बाद में, 5 सितंबर को, जुमे की नमाज के बाद, स्थानीय लोग गोलंदा अंसार क्लब चौक पर इकट्ठा हुए और नूरल पगला के अनुयायियों के साथ उनकी झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी। भीड़ ने आस-पास के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की और "दरगाह" में आग लगा दी। भीड़ ने कब्र खोदी, शव को एक जुलूस के रूप में ढाका-खुलना राजमार्ग पर पद्मा चौराहे पर ले गई और उसे आग लगा दी। सेना, पुलिस, मजिस्ट्रेट और आरएबी ने हस्तक्षेप किया और स्थिति को नियंत्रण में किया, जबकि आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन दल को मौके पर तैनात किया गया।

--आईएएनएस

केआर/

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