अरब लीग और भारत ने की बैठक, आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर हुई चर्चा

नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। विदेश मंत्रालय (एमईए) में सचिव (दक्षिण) नीना मल्होत्रा ​​ने सोमवार को नई दिल्ली में अरब राजदूतों के साथ एक परामर्श बैठक की अध्यक्षता की। इसमें दोनों पक्षों के बीच सहयोग को और मजबूत करने के प्रयासों पर चर्चा की गई।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा, "सचिव (दक्षिण) ने सोमवार को नई दिल्ली में अरब राजदूतों के साथ एक परामर्श बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भारत और अरब राज्य लीग के बीच सहयोग को और मजबूत करने के प्रयासों पर चर्चा हुई।"

बता दें कि भारत के अरब राज्य लीग (एलएएस) बनाने वाले देशों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। एलएएस को अरब लीग भी कहा जाता है। ये संबंध काफी पुराने समय से चले आ रहे हैं, जब व्यापारी, विद्वान और राजनयिक अक्सर अरब सागर और भारत को पश्चिम एशिया और अरब प्रायद्वीप से जोड़ने वाले स्थलीय मार्गों से ज्ञान और व्यापार का आदान-प्रदान करते थे। भाषा और धर्म के संबंधों के माध्यम से एक साझा सांस्कृतिक विरासत इन ऐतिहासिक संबंधों को ऊर्जा प्रदान करती रहती है।

अरब लीग की स्थापना 1945 में काहिरा में हुई थी, जिसमें शुरुआत में इन देशों के विभिन्न हितों को बढ़ावा देने के लिए सात सदस्य थे। वर्तमान में लीग में अरब जगत के 22 सदस्य देश हैं, जिनमें उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के देश शामिल हैं।

अरब लीग के देश भारत के विस्तारित पड़ोस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर साझा विचार और मजबूत आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध भारत-अरब संबंधों की नींव हैं। भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार स्वेज नहर, लाल सागर और अदन की खाड़ी से होकर गुजरता है, जो इन संबंधों को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, जहां भारत आज प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और वैश्विक व्यापार गतिशीलता के भविष्य को आकार देने की अपार क्षमता वाला एक वैश्विक खिलाड़ी है, वहीं एलएएस और उसके सदस्य देश अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे और आर्थिक साझेदारी के कई अवसर प्रदान करेंगे।

--आईएएनएस

केके/डीकेपी

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