वॉशिंगटन, 13 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिका ने जी-7 देशों से रूस के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है। साथ ही, उसने यह भी सुझाव दिया है कि जो देश अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, उनके ऊपर टैरिफ (शुल्क) लगाया जाए।
जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों के साथ एक संयुक्त बैठक में अमेरिकी राजदूत जेमिसन ग्रीर और वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह मांग दोहराई कि सहयोगी देश रूस की ऊर्जा से होने वाली कमाई को कम करने के प्रयास तेज करें। वाशिंगटन का कहना है कि यह कमाई यूक्रेन में चल रहे युद्ध को बढ़ावा दे रही है।
कॉल के बाद ग्रीर और बेसेंट ने एक बयान में कहा, "केवल एक साथ मिलकर ही हम उस राजस्व को रोक सकते हैं जो पुतिन की युद्ध मशीन को चला रहा है। तभी हम युद्ध को खत्म करने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव डाल पाएंगे।"
अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका पहले ही उन देशों पर सख्त शुल्क लगाने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है जो अब भी रूसी तेल का आयात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह नीति राष्ट्रपति ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके जरिए रूस को बातचीत की मेज पर लाया जा सके। अमेरिका ने जी-7 के अन्य देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम से भी इसी तरह के कदम उठाने की अपील की है।
ग्रीर और बेसेंट ने जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों द्वारा मौजूदा प्रतिबंधों को और कड़ा करने और रूस की जब्त की गई संपत्तियों को यूक्रेन की रक्षा में इस्तेमाल करने की संभावना पर विचार करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया।
बयान में कहा गया, "राष्ट्रपति ट्रंप के साहसिक नेतृत्व की वजह से अमेरिका पहले ही रूसी तेल खरीदने वाले देशों के खिलाफ कड़े कदम उठा चुका है। हमें खुशी है कि जी-7 के हमारे साझेदार भी इस युद्ध को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें उम्मीद है कि इस महत्वपूर्ण समय में वे भी निर्णायक कदम उठाने में हमारे साथ शामिल होंगे।"
यह अपील ऐसे समय पर की गई है जब जी-7 देशों के बीच इस बात पर चर्चा चल रही है कि प्रतिबंधों को कितना सख्त किया जाए ताकि दुनिया में ऊर्जा संकट न बढ़े, खासकर उन विकासशील देशों में जो अब भी रूसी तेल और गैस पर निर्भर हैं।
शुक्रवार को ट्रंप ने यह भी कहा कि वह टैरिफ (आयात शुल्क) जैसे आर्थिक उपायों के जरिए रूस पर "बहुत सख्त" कार्रवाई करेंगे।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "इसका असर बैंकों पर प्रतिबंधों के साथ-साथ तेल और टैरिफ पर भी बहुत गंभीर पड़ेगा।"
--आईएएनएस
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