आयरलैंड में भारतीय मां-बेटी की कब्र की 40 साल से देखभाल कर रहे फिनबार आर्चर, भारत ने सराहा

नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। आयरलैंड के कॉर्क शहर में भारतीय सांस्कृतिक समूह कॉर्क सर्बोजनिन दुर्गोत्सव (सीएसडी) ने 40 साल से भारतीय मां-बेटी की कब्र की देखभाल कर रहे फिनबार आर्चर नाम के एक व्यक्ति को सम्मानित किया है। 1985 में एयर इंडिया विमान हादसे में जान गंवाने के बाद इन मां-बेटी के शव को कोई लेने नहीं पहुंचा था, जिसके बाद फिनबार आर्चर ने उन्हें पूरे सम्मान के साथ न केवल दफनाया, बल्कि चार दशक से कब्रों की देखभाल भी कर रहे हैं।

इस पर भारत में आयरिश एंबेसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "फिनबार आर्चर ने जो काम किया, उसमें आयरिश-भारतीय समुदाय के संबंधों की भावना और एक व्यक्ति द्वारा विपरीत परिस्थितियों में दिए जाने वाले गहन प्रभाव का समावेश है।"

23 जून 1985 को मॉन्ट्रियल से दिल्ली जाते समय एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 में बम धमाका हुआ था। यह हादसा आयरलैंड के दक्षिण-पश्चिमी तट से लगभग 190 किलोमीटर दूर हुआ था। यह इतना भयावह था कि हवा में ही फ्लाइट के परखच्चे उड़ गए थे। इस हादसे में सभी 329 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए थे।

मरने वालों में अधिकांश भारतीय मूल के थे। विमान में केरल की मूल निवासी अन्नू एलेक्जेंड्रा, उनकी बेटी रेना, पति और बेटा भी थे। घटना के बाद अन्नू एलेक्जेंड्रा और रेना समेत 132 शव बरामद हुए थे, लेकिन अन्नू के पति और बेटे के शव बाकी की तरह कभी नहीं मिले।

आयरलैंड में हुए इस हादसे में मारे गए लोगों का डाटा दर्ज करने की जिम्मेदारी कॉर्क के फिनबार आर्चर को दी गई थी। शवों की जानकारी दर्ज करने के दौरान उन्हें पता चला कि एलेक्जेंड्रा और रेना के शव को लेने वाला कोई नहीं था। इसके बाद उन्होंने भारतीय मां-बेटी को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। वह उनकी कब्र की देखभाल के साथ-साथ वार्षिक स्मृति समारोह भी मनाते हैं।

फिनबार आर्चर की इस असाधारण करुणा, मानवता और समाज सेवा के लिए भारतीय समूह कॉर्क सर्बोजोनिन दुर्गोत्सव (सीएसडी) ने उन्हें शैमरॉक लोटस पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस दौरान कहा गया, "यह पुरस्कार एयर इंडिया फ्लाइट 182 त्रासदी में खोई एक भारतीय मां और बेटी की कब्र की देखभाल में उनके दशकों लंबे समर्पण को मान्यता देता है, जो उनके अटूट समर्पण, करुणा और मानवता को दर्शाता है जो हमारे पूरे भारतीय समुदाय को प्रेरित करता है।"

भाषण में आगे कहा गया कि उनके कार्यों में निस्वार्थ सेवा, सामुदायिक जुड़ाव और एक व्यक्ति द्वारा दूसरों के सम्मान में किए जा सकने वाले गहन प्रभाव की भावना समाहित है। आयरलैंड के शेमरॉक और भारत के कमल को एक करने वाला यह पुरस्कार हमें हमेशा याद दिलाए कि दयालुता की कोई सीमा नहीं होती और स्मृति का कोई अंत नहीं होता।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की परंपराओं और दुर्गा पूजा की आत्मा को बनाए रखने और उन्हें भारतीय समुदाय के साथ साझा करने के लिए सीएसडी स्थापित किया गया था, जो हर साल आयरलैंड में दुर्गा पूजा का उत्सव मनाता है।

-- आईएएनएस

कनक/वीसी

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