फ्रांस में मिली 23 हजार साल पुरानी तलवार में बने हैं स्वास्तिक चिंन्ह

फ्रांस में मिली 2300 साल पुरानी सेल्टिक तलवारें, स्वास्तिक चिन्ह ने चौंकाया दुनिया को
Ancient sword discovery

पेरिस: भारत से 6,600 किमी दूर फ्रांस में पुरातत्वविदों ने बड़ी खोज की है। पुरातत्वविदों ने दो प्राचीन तलवारें खोजी हैं जो 2300 साल पुरानी हैं। खास बात ये है कि एक तलवार की म्यान पर छोटे-छोटे स्वास्तिक के निशान बने हैं। ये सेल्टिक आयरन एज की हैं। फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव आर्कियोलॉजिकल रिसर्च (आईएनआरएपी) के मुताबिक, ये तलवारें यूरोप में अपनी तरह की सबसे खास हैं।  कब्र की खुदाई में मिली चीजों में से ज्यादा धातु के गहने थे। जैसे तांबे के कंगन और 18 टूटी हुई ब्रोच मिले। एक ब्रोच में सोने-चांदी का सजा हुआ रत्न मिला था, चौथी शताब्दी से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। 

कुछ गहनों पर ओसेली यानी आंख का डिजाइन बना है। यह उस समय सेल्टिक कारीगरों के बीच बेहद पॉपुलर था। जो तलवार स्वास्तिक वाली है, उसके ब्लेड पर एक्स-रे से सूरज और चांदमुखी चित्र दिखे। वहीं दूसरी लंबी तलवार वास्तव में लड़ाई के लिए थी, जिसे घुड़सवार कमर पर बांधते थे।

खास बात ये है कि एक तलवार की म्यान पर छोटे-छोटे स्वास्तिक के निशान बने हैं। दोनों तलवारें अभी भी अपनी म्यान में ही लगी हैं। तलवारों में से एक तांबे के म्यान वाली है। दूसरी तलवार थोड़ी लंबी है, जिसके म्यान में बेल्ट लगाने के छल्ले अभी भी बचे हैं। जिसे कमर पर पहनने के लिए डिजाइन किया गया है। म्यान के किनारों को कई पॉलिश किए गए रत्नों से सजाया गया है। दो रत्नों पर स्वास्तिक बना है।

ये तलवारें फ्रांस के क्रूजिए-ले-न्यूफ नाम के छोटे से कस्बे में 2022 में मिली थीं। उस वक्त यहां 650 वर्ग मीटर की कब्रगाह की खुदाई हो रही थी, जिसमें 100 से ज्यादा कब्रें थीं। मिट्टी के अम्लीय होने की वजह से हड्डियां तो नहीं मिलीं, लेकिन एक कब्र में राख और सजा हुआ मिट्टी का बर्तन मिला। स्वास्तिक हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा ही निशान नाजी शासन के अत्याचारों से जुड़ गया। लेकिन प्राचीन समय में स्वास्तिक के अलग-अलग अर्थ थे। लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक पुरातत्वविद विंसेंट जॉर्जेस बताते हैं कि उस समय सेल्टिक लोग स्वास्तिक को सजावटी डिजाइन के तौर पर इस्तेमाल करते थे। हालांकि, इसका इस क्षेत्र में क्या महत्व था, ये अभी साफ नहीं है।

 

 

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