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नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। सुबह उठते ही पीठ में जकड़न महसूस होना और उठने पर या करवट लेने पर चिक जैसी आवाज आना, ये सभी संकेत कमर की परेशानी की तरफ इशारा करते हैं।
आमतौर पर लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहने या भारी सामान उठाने से ऐसी समस्याएं होती हैं, लेकिन आयुर्वेद में पीठ की चिक के दर्द से आराम पाने के कई तरीके बताए गए हैं।
आयुर्वेद में पीठ की चिक को वात दोष से जोड़ा गया है। जब शरीर में वात दोष बढ़ जाता है, तो शरीर में मौजूद मांसपेशियों में अकड़न होने लगती है और पीठ दर्द, गठिया, स्लिप डिस्क जैसी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। ये समस्या सिर्फ निरंतर एक ही पोजीशन में होने के अलावा गलत आहार, गलत आसन और ठंड की वजह से भी हो सकती है। पीठ की चिक होने पर शरीर में कई तरह के लक्षण दिखते हैं, जैसे झुकने में परेशानी, चलते-फिरते वक्त अकड़न, पीठ और कंधे की तरह भारीपन होना और गर्दन से लेकर कमर में दर्द होना।
आयुर्वेद में पीठ की चिक होने पर आहार में परिवर्तन और घरेलू उपचारों से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए सुबह के समय सरसों के गुनगुने तेल से मालिश करें और फिर उसके बाद गर्म पानी से सिकाई करें। शाम और रात को भी गर्म पानी में नमक डालकर सिकाई करें और हो सके तो गर्म पानी से नहाए भी। ऐसा करने पर मांसपेशियों में बनी अकड़न से आराम मिलेगा। रात के समय भी तेल की मालिश की जा सकती है, जिससे दर्द वाली जगह पर रक्त का संचार भी बढ़ेगा।
पीठ के चिक होने पर मुलायम गद्दे पर सोएं और शरीर पर किसी तरह का जोर न डालें।
दर्द होने की स्थिति में चलते या उठते वक्त किसी का सहारा लें। आहार में परिवर्तन लाकर भी दर्द से राहत पाई जा सकती है। इसके लिए अपने आहार में मूंग की दाल और दूध से जुड़े प्रोडक्ट बढ़ाएं। दिन में एक बार मूंग की दाल या प्रोटीन वाला आहार जरूर खाएं। हरी सब्जियों का भी सेवन जरूर करें और रात के समय हल्दी वाला दूध जरूर पीएं, जो दर्द को कम करने में मदद करेगा।
इसके साथ ही रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह खाली पेट उसका पानी और कुछ दाने चबा लें। ऐसे समय में भारी सामान या ज्यादा झुकने से बचें। साथ ही हल्की सैर और स्ट्रेचिंग करें। स्ट्रेचिंग करते वक्त शरीर पर ज्यादा जोर न दें। अगर दर्द ज्यादा बढ़ जाए तो फिजियोथैरेपिस्ट के पास जरूर जाएं।
--आईएएनएस
पीएस/वीसी