वैभव राज गुप्ता ने शेयर किया सेट का यादगार अनुभव और सख्त डाइट का किस्सा

मुंबई, 2 अगस्त (आईएएनएस)। अभिनेता वैभव राज गुप्ता ने अपनी करियर यात्रा, 'मंडला मर्डर्स' में निभाए गए किरदार विक्रम सिंह और मुंबई में मिले अनुभवों को लेकर बात की। उन्होंने बताया कि गुजरात से लेकर अब तक का उनका यह सफर कड़ी मेहनत और लगन से भरा रहा है। साथ ही बताया कि उन्होंने इस सीरीज में अपने किरदार के लिए छह से आठ महीने तक कड़ा अभ्यास किया।

आईएएनएस से बात करते हुए वैभव ने कहा कि लंबे समय तक मेहनत करने के बाद जब 'मंडला मर्डर्स' का ऑफर मेरे पास आया तो, यह उनके लिए बेहद खास पल था। दर्शकों ने विक्रम सिंह के किरदार को काफी पसंद किया और सीरीज की कहानी के साथ विक्रम की परफॉर्मेंस की भी प्रशंसा हो रही है। उन्होंने बताया कि उनके निर्देशक, को-एक्टर्स, और सबसे महत्वपूर्ण, उनके फैंस भी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं।

वैभव ने अपने पहले लोकप्रिय किरदार 'गुल्लक' के अनु से जुड़ी इमेज पर भी बात की। उन्होंने कहा, ''अनु एक मासूम और सरल किरदार था, मैंने उसे उसी तरह निभाया। लेकिन एक कलाकार के अंदर कई रंग होते हैं और हर किरदार की अपनी अलग पहचान होती है। अनु के बाद अब विक्रम सिंह के किरदार को भी दर्शकों का उतना ही प्यार मिल रहा है। यह मेरे लिए असली सफलता है।''

वैभव ने 'मंडला मर्डर्स' के लिए अपनी एक्टिंग स्टाइल में बदलाव किया। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने बताया, ''अपने किरदार के अनुरूप मैंने छह से आठ महीने तक शारीरिक रूप से बदलाव किए, जिसमें कड़ी ट्रेनिंग, सख्त डाइट और किरदार के हर पहलू जैसे आवाज, हाव-भाव और पोशाक पर ध्यान देना शामिल था।''

अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए, उन्होंने वाणी कपूर और सुरवीन चावला के साथ काम करने के अनुभव को भी यादगार बताया। वाणी की मेहनत और सुरवीन की प्रतिभा से उन्होंने बहुत कुछ सीखा।

उन्होंने कहा, ''मैं 'चंडीगढ़ करे आशिकी' से ही वाणी का प्रशंसक रहा हूं। वह खूबसूरत, मेहनती और एक समर्पित कलाकार हैं। सुरवीन अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली, बहुमुखी और अपने काम में सहज हैं। हमने साथ में शानदार काम किया। मैंने उन दोनों से बहुत कुछ सीखा है।''

मुंबई में बिताए अपने अनुभवों को लेकर वैभव ने कहा कि इस शहर ने उन्हें धैर्य, संघर्ष, सपनों और अंदर की ताकत के बारे में सिखाया। उन्होंने कहा कि मुंबई ने उन्हें दोस्त, हुनर और करियर दिया है और इस शहर ने जब उन्हें स्वीकार लिया, तो पीछे लौटने का सवाल ही नहीं।

अभिनेता का मानना है कि मुंबई में अच्छे एक्टर्स की डिमांड है। चुनौतियां उनके काम को और रोमांचक बनाती हैं। वैभव ने सेट पर बिताए एक यादगार पल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''आठ महीने तक मैं एक सख्त डाइट पर रहा, जिसमें मैं केवल उबला खाना और चिकन खाता था, और शादियों में भी मैं बिना खाए चला आता था। मैं बस खाने के सपने देखा करता था। बनारस घाट पर एक मुश्किल सीन के बाद, मैंने 24 व्यंजनों की एक सूची बनाई, जिन्हें मैं खाना चाहता था...जैसे पूरी सब्जी, छोले भटूरे, बर्गर, मिठाई, खीर…इन सब के बीच मुझे खाने का महत्व समझ में आया।''

अपनी ज़िंदगी में सबसे बड़े प्रभाव के बारे में वैभव ने बताया कि उनके दादा-दादी ने उन्हें इंसानियत, सम्मान और जमीनी स्तर पर रहने का महत्व सिखाया। खासकर उनके दादा का उन पर काफी प्रभाव रहा, जो एक बेहतरीन चित्रकार थे। उन्होंने आगे कहा, ''मेरे पिता हमेशा कहते थे कि जो भी काम करो, ऐसा करो कि कोई दूसरा उसकी बराबरी न कर सके।'

भाई-भतीजावाद यानी नेपोटिज्म पर भी वैभव ने अपने विचार रखे। उनका मानना है कि यह हर जगह होता है। हालांकि कनेक्शन्स से मौके मिल सकते हैं, लेकिन टिके रहने के लिए असली टैलेंट जरूरी है।

--आईएएनएस

पीके/एएस

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