मुंबई: बॉलीवुड फिल्म 'धाकड़' और 'सेल्फी' में काम कर चुकी अभिनेत्री तितिक्शा श्रीवास्तव सीरियल 'जागृति: एक नई सुबह' में भी दिखी थी, जहां उनके किरदार को काफी पसंद किया गया। अब एक्ट्रेस ने अपने फिल्मी करियर, टीवी सीरियल की दुनिया के अनुभव और अपने शुरुआती दिनों के अनुभव फैंस संग शेयर किए हैं।
एक्ट्रेस तितिक्शा श्रीवास्तव ने कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' में काम किया है। कंगना रनौत की पर्सनैलिटी को लेकर पूछे गए सवाल पर अभिनेत्री ने आईएएनएस से कहा कि "लोगों को जैसा लगता है, वे वैसी बिल्कुल भी नहीं हैं। धाकड़ उनकी फिल्म थी, लेकिन उन्होंने कभी किसी को कमतर महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी जगह बनाए रखी और बाकी सभी को अपनी जगह दी। अर्जुन रामपाल सर और अन्य बड़े कलाकारों सहित पूरी टीम ने मिलकर बहुत सहजता से काम किया।"
उन्होंने कंगना की तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत डिसिप्लिन फॉलो करने वाली एक्ट्रेस हैं और एक्टिंग के मामले में शानदार हैं।
फिल्म धाकड़ के दिनों को याद कर तितिक्शा श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने फिल्म में एसीओ की भूमिका निभाई थी। एक्शन सीन को शूट करने के लिए उन्होंने कंगना के साथ चार दिन तक प्रैक्टिस की थी। उनके साथ चार दिन काम करना मेरे लिए सबसे यादगार पलों में से एक रहा था।
उन्होंने ये भी बताया कि एक्शन सीन्स को फिल्माने के लिए कंगना ने हॉलीवुड से एक्शन निर्देशकों को बुलाया था।
टीवी सीरियल 'जागृति: एक नई सुबह' में काम करने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए एक्ट्रेस तितिक्शा श्रीवास्तव ने बताया कि फिल्मों और टीवी सीरियल में काम करने का तरीका बहुत अलग होता है।
सीरियल में काम करने का एक्सपीरियंस काफी अच्छा रहा, हमने बच्चों के साथ शूटिंग की और सीरियल में काम करने वाले अनुभवी कलाकारों से काफी कुछ सीखा भी। बाद में जब मैंने शो में वापसी की, तो मेरे किरदार को पॉजीटिव से निगेटिव कर दिया गया। अचानक पॉजीटिव से निगेटिव किरदार को निभाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
तितिक्शा श्रीवास्तव एक्टिंग में कदम रखने से पहले वकालत करती थीं। वकालत छोड़ एक्टिंग में आने के सवाल पर एक्ट्रेस ने कहा कि मेरे माता-पिता हमेशा पढ़ाई के लिए जोर देते थे और कहते थे कि पढ़ाई कभी बेकार नहीं जाती। अब उनकी बात मानते हुए मैंने पहले वकालत की पढ़ाई की और फिर सेटल होने के बाद एक्टिंग में कदम रखा, लेकिन पहले मेरे इस फैसले को परिवार ने नहीं माना, लेकिन जब काम मिलने लगा तो सब धीरे-धीरे समझ गए।
--आईएएनएस
