दीपावली पार्टियों का नहीं, बल्कि रोशनी का त्योहार: पंकज त्रिपाठी

दीपावली पार्टियों का नहीं, बल्कि रोशनी का त्योहार: पंकज त्रिपाठी

मुंबई, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने दीपावली पर आईएएनएस को दिए एक विशेष इंटरव्यू में पार्टियों और उपहारों से परे त्योहार के गहरे महत्व पर जोर दिया।

पंकज त्रिपाठी ने आईएएनएस से कहा, "इस त्योहार का गहरा अर्थ है। यह रोशनी का त्योहार है। भगवान राम चंद्र अयोध्या लौटे थे। उस दिन उनके स्वागत में यह त्योहार मनाया गया था। यह रोशनी का त्योहार है। कहा जाता है कि यह रोशनी आपके भीतर के अंधकार को दूर कर सकती है। रोशनी का त्योहार परिवार की कल्पनाओं को भी बढ़ाता है। यह समाज की कल्पनाओं को भी बढ़ाता है।"

उन्होंने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे त्योहारों के दौरान पड़ोसियों के घरों से दीये लाए जाते थे। उन्होंने कहा, “मुझे याद है दीपावली पर बाजार में दीये नहीं मिलते थे, इसलिए दीये कुम्हार के घर से आते थे। कपास भी दूसरों के घर से आती थी। इसका एक सामाजिक ढांचा भी था। गांव की अर्थव्यवस्था भी त्योहारों से चलती थी। तेल बिकता था, कपास बिकता था। हां, तेल, कपास, और दीये सब इस्तेमाल होते थे। इसकी एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था थी और परिवार की कल्पनाशीलता बहुत मजबूत थी।”

उन्होंने कहा, "दीपावली पर सब साथ रहना चाहते थे। हमारी संस्कृति में, भारतीय समाज में, परिवारों को मिलकर त्योहार मनाना चाहिए। यह भी एक अच्छा सबक है। झगड़ों से बचना और त्योहार साथ मिलकर मनाना। मुझे लगता है कि बाद के समय में बाजार ने एक-दूसरे को उपहार देने की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। उपहार और मिठाइयां देने की। त्योहार तो त्योहार होते हैं। मेरा मतलब है, आप मुस्कुराकर किसी को शुभकामनाएं दे सकते हैं। यह उपहार जितना ही महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने त्योहार का मतलब बताते हुए कहा, "त्योहार परिवार और समुदाय के प्रति जागरूकता लाते हैं। आपको परिवार और निकटतम समाज के साथ मिलकर उत्सव मनाना चाहिए। आपको इसे किसी पार्टी की तरह नहीं मनाना चाहिए।"

--आईएएनएस

जेपी/एबीएम

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