'तारे जमीन पर' से लेकर '3 इडियट्स' तक, इन फिल्मों में दिखी शिक्षक की प्रेरणादायक भूमिका

मुंबई, 3 सितंबर (आईएएनएस)। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते, बल्कि हमें जिंदगी के असल मायने भी सिखाते हैं। बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में हैं जो भावनाओं, प्रेरणा और रिश्तों की गहराई से रूबरू कराती हैं। इस खास मौके पर कुछ ऐसी ही बॉलीवुड फिल्मों के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने शिक्षक और छात्र के रिश्ते को बेहद खूबसूरती से बड़े पर्दे पर दिखाया है।

तारे जमीन पर: 'तारे जमीन पर' एक ऐसी फिल्म है जिसे देखकर शायद ही किसी की आंखें नम न हुई हों। इस फिल्म में एक टीचर, ईशान नाम के बच्चे की जिंदगी को एक नया मोड़ देता है, जो पढ़ाई में कमजोर समझा जाता है लेकिन असल में एक कलाकार होता है। आमिर खान ने फिल्म में ऐसे टीचर का किरदार निभाया है, जो बच्चों की कमजोरी नहीं, बल्कि उनकी खासियत की पहचान करता है। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म सिखाती है कि एक अच्छा गुरु हर बच्चे में छिपे हुए टैलेंट को पहचानता है और उसे उड़ान देता है।

छिछोरे: यह फिल्म देखने पर शुरू में ऐसा लगता है कि ये सिर्फ दोस्ती और कॉलेज की मस्ती पर बनी है, लेकिन इसमें कई जगह ऐसे पल आते हैं जो शिक्षक और छात्रों के रिश्ते की अहमियत को उजागर करते हैं। यह फिल्म बताती है कि जीवन सिर्फ नंबरों से नहीं चलता, बल्कि आत्मविश्वास, समर्थन और सही सोच से ही असली सफलता मिलती है। इसमें दिखाया गया है कि सही समय पर दी गई सीख जीवन को बदल सकती है।

सुपर 30: ये फिल्म असल जीवन से प्रेरित फिल्म है जो आनंद कुमार नामक शिक्षक की कहानी बताती है। वह ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं जो पैसों की कमी के कारण अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ पाते। यह फिल्म एक शिक्षक की समाज के प्रति जिम्मेदारी और बदलाव लाने की उनकी क्षमता को दिखाती है। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म बताती है कि एक टीचर समाज की तस्वीर बदल सकता है।

3 इडियट्स: इस फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षा का असली मकसद रट्टा मारना नहीं, बल्कि समझना और अपने पैशन को फॉलो करना है। शिक्षक के किरदार में बोमन ईरानी और छात्रों के बीच का रिश्ता यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारा एजुकेशन सिस्टम वाकई छात्रों को सोचने और अपने अंदर की कला को खोजने की आजादी देता है।

हिचकी: यह फिल्म समाज की बनी-बनाई धारणाओं को तोड़ती है। रानी मुखर्जी द्वारा निभाए गए टीचर के किरदार को टॉरेट सिंड्रोम नाम की बीमारी होती है, लेकिन वह हार नहीं मानती और समाज के सबसे कमजोर समझे जाने वाले बच्चों को पढ़ाकर यह साबित करती है कि एक सच्चा शिक्षक कभी हालातों से नहीं डरता। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म बताती है कि एक गुरु न सिर्फ ज्ञान देता है, बल्कि प्रेरणा भी देता है।

--आईएनएस

पीके/एएस

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