सायरा बानो ने धर्मेंद्र को बताया दिलीप कुमार का 'धरम', लिखा भावुक नोट

मुंबई, 25 नवंबर (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के निधन के बाद मनोरंजन जगत में हर कोई उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से याद कर रहा है। मंगलवार को अभिनेत्री सायरा बानो ने उन्हें न सिर्फ अपना सह-कलाकार बताया, बल्कि अपने पति स्वर्गीय दिलीप कुमार का “धरम” भी कहा।

अभिनेत्री ने धर्मेंद्र के साथ कुछ पुरानी तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसके साथ उन्होंने लिखा, "धरम जी के जाने के बाद ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि हमारी साथ में की गई फिल्में और निजी यादों का एक अध्याय खत्म हो गया है और पीछे एक ऐसी यादों को छोड़ गया है जो आज भी तेज रफ्तार भरी जिंदगी में कम देखने को मिलती है। मेरे लिए धरम जी का जाना सिर्फ एक सहकर्मी को खोना नहीं है, बल्कि वह मेरे प्यारे यूसुफ साहब (दिलीप कुमार जी) के 'धरम' भी थे।"

सायरा बानो ने बताया कि धर्मेंद्र अक्सर उन्हें बताया करते थे कि वे दिलीप कुमार की फिल्म शहीद देखकर ही फिल्मों मे आएं थे। अभिनेत्री ने लिखा, "लुधियाना के एक नौजवान ने फिल्म 'शहीद' देखकर इतने प्रभावित हुए थे कि वे सिर्फ एक सपना लेकर बंबई आ गए थे। उस अभिनेता से मिलने का, जिसने उसके दिल पर गहरा असर छोड़ा था। वह घबराते हुए बांद्रा के पाली हिल पहुंचा, जहां दिलीप साहब रहते थे। हिम्मत जुटाकर वह उनके घर में बिना रोके-टोके चला गया। अंदर पहुंचकर उसने देखा कि यूसुफ साहब सोफे पर गहरी नींद में सो रहे हैं और दोपहर की धूप उनके चेहरे पर हल्के से गिर रही है। धर्म जी वहीं खड़े रह गए, पूरी तरह मंत्रमुग्ध। जैसे ही यूसुफ साहब जागे, तो डर के मारे वह लड़का हिरन की तरह तेजी से भाग गया। यही घटना धर्मेंद्र हमेशा मुस्कुराते हुए याद किया करते थे।"

अभिनेत्री ने आगे लिखा, "छह साल बाद किस्मत ने उन्हें फिर से मिलवाया, लेकिन इस बार फिल्मफेयर टैलेंट हंट के जरिए वे मिले थे। यह मुलाकात फरीदा, साहब की छोटी बहन ने करवाई थी, जो उस फैमिना में काम किया करती थी। यही वह पल था जब युवा धर्मेंद्र अपने आदर्श से फिर मिले, लेकिन इस बार एक फैन की तरह नहीं, बल्कि एक बड़े भाई से, जिनकी आंखों में प्यार, समझदारी और एक अनोखी नरमी थी।

अभिनेत्री ने बताया कि दिलीप कुमार ने धर्मेंद्र से खास अंदाज में बातचीत की, जो उर्दू के मिलेजुले मीठे बोल लग रहे थे। उन्होंने लिखा, "यूसुफ साहब ने उनसे अंग्रेजी, पंजाबी और उर्दू के मिलेजुले मीठे लहजे में बात की, जो उनके मुंह से कविता जैसी लगती थी। शाम ठंडी थी, और जाते-जाते उन्होंने अपना स्वेटर उतारकर धर्म जी के कंधों पर रख दिया। प्यार से किया गया यह छोटा-सा इशारा उनकी जीवनभर की दोस्ती की पहली कड़ी बन गया।"

--आईएएनएस

एनएस/डीएससी

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