मुंबई: मुंबई में शनिवार की दोपहर एक दुखद खबर ने फिल्म और टेलीविजन उद्योग को झकझोर दिया। मशहूर अभिनेता सतीश शाह का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उनके अचानक निधन की खबर ने न केवल उनके परिवार और दोस्तों को बल्कि उनके प्रशंसकों को भी स्तब्ध कर दिया। अस्पताल की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि सतीश शाह की तबीयत घर पर बिगड़ गई थी और उन्हें तुरंत पीडी हिंदुजा अस्पताल ले जाया गया। वहां पहुंचते समय उन्हें एम्बुलेंस में सीपीआर दिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
इस घटना ने एक बार फिर से लोगों को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) की अहमियत याद दिला दी। सीपीआर एक ऐसी जीवनरक्षक तकनीक है, जिसे हर व्यक्ति सीख सकता है। इसका मूल उद्देश्य हृदय रुकने या कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर स्थिति में रक्त प्रवाह को बनाए रखना और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाना है। सीपीआर देने से पेशेवर मेडिकल मदद मिलने तक व्यक्ति के मस्तिष्क और हृदय को अस्थायी रूप से रक्त और ऑक्सीजन मिलता रहता है।
सतीश शाह की तरह, कई बार लोगों को घर पर या सार्वजनिक जगहों पर अचानक स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कार्डियक अरेस्ट में जब व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, सांस नहीं ले पाता और पल्स नहीं मिलती, तो ऐसे में सीपीआर की मदद से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
इसके दो तरीके होते हैं: पहला 'सिर्फ हाथ से किया जाने वाला सीपीआर' और दूसरा 'सांस के साथ सीपीआर'।
सिर्फ हाथ से किया जाने वाला सीपीआर सबसे सरल तरीका है। इसमें हम व्यक्ति के सीने पर अपने हाथों से जोर लगाकर दबाव देते हैं। दबाव डालने से दिल और शरीर के अन्य हिस्सों में खून चलता रहता है। इसे करने के लिए व्यक्ति को जमीन पर पीठ के बल लिटा दें। दोनों हाथों को एक के ऊपर एक रखकर छाती के बीच में दबाएं। दबाने के बाद छाती को पूरी तरह ऊपर आने दें। इसे तेजी से, लगभग एक मिनट में 100 से 120 बार करना चाहिए। बच्चे के केस में सिर्फ एक हाथ से हल्का दबाव दें।
सांस के साथ सीपीआर के लिए पहले व्यक्ति की छाती पर कई बार दबाव डालना होता है। इसके बाद सिर को हल्का पीछे झुकाएं और ठोड़ी ऊपर उठाएं, फिर नाक को बंद करके अपने मुंह से व्यक्ति के मुंह में सांस फूंकें। अगर सही तरीके से सांस दी जाए, तो छाती उठती दिखाई देगी। सांस देने के बाद फिर से छाती पर दबाव देना शुरू करें और यह सिलसिला तब तक जारी रखें जब तक व्यक्ति होश में नहीं आ जाता।
इन तरीकों का मकसद शरीर में खून के साथ-साथ ऑक्सीजन पहुंचाना होता है।
